लाहौल-स्पीति: खंमीगर ग्लेशियर में फंसे 16 ट्रेकर्स में 11 को रेस्क्यू कर पहुंचाया काजा

उज्जवल हिमाचल। काजा

लाहौल स्पीति में ट्रैकिंग के लिए खंमीगर ग्लेशियर 16 ट्रेकर्स के दल गया था, जिसमें से 11 सदस्यों को को रेस्क्यू कर लिया गया है। बताया गया है कि 4 पर्वतारोहियों और 7 कुलियों को आईटीबीपी की सुरक्षा में धार थांगो से काह गांव लाया गया। इसके बाद सभी को काजा ले जाया गया, जहां एसडीएम और एडीएम की मौजूदी में 11 लोगों को काजा प्रशासन को सौंप दिया गया। प्रशासन ने सभी को काजा अस्पताल में भर्ती करवाया है और उन्हें डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है। एक पर्वतारोही और एक कुली में शीतदंश के हल्के लक्षण दिखाई दिए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, बचे हुए कुलियों को भी ग्लेशियर प्वाइंट पर ट्रेस कर लिया गया है और 2 शवों को आईटीबीपी के जवान स्ट्रेचर पर पैदल बेस कैंप तक ले जा रहे हैं। रोड हेड ग्लेशियर बिंदु से लगभग 27 किलोमीटर दूर है जहां से आईटीबीपी के जवान शवों को ले जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में मनाली-खामेंगर दर्रा-मणिरंग के ऊंचे इलाकों की ओर बचाव अभियान के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सेना और नागरिक प्रशासन की एक संयुक्त टीम को काजा से रवाना किया गया था।

पश्चिम बंगाल के पर्वतारोहियों और स्थानीय कुलियों की एक टीम कथित तौर पर लगभग 18,000 फीट ऊंची पर्वत श्रृंखला में फंसी हुई थी, जिसमें 3 ट्रेकर्स और 11 पोर्टर्स सहित टीम के 14 सदस्य फंसे हुए थे। ट्रेकिंग अभियान 17 सितंबर को मनाली से शुरू हुआ था। 25 सितंबर को जब टीम खामेंगर दर्रे से गुजर रही थी, तब उनमें से दो सदस्य संदीप कुमार ठाकुरता (48) और भास्करदेव मुखोपाध्याय (61) की माउंटेन सिकनेस के कारण मौत हो गई।

32 सदस्यीय बचाव दल का गठन किया गया था गठन

लाहौल स्पीति के डीसी नीरज कुमार ने बताया था कि फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए 32 सदस्यीय बचाव दल का गठन किया गया, जिसमें 16 आईटीबीपी के जवान, छह डोगरा स्काउट्स और एक मेडिकल टीम शामिल है। डीसी नीरज कुमार ने कहा था कि 7 ट्रेकर्स पश्चिम बंगाल के हृदयपुर के अरेटे पर्वतारोहण फाउंडेशन (क्लब) के हैं, जो इंडियन माउंटेनियरिंग फांउडेशन में रजिस्टर्ड है। वे 11 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच पाराहियो कर्नल और होम्स कर्नल तक ट्रेकिंग करने वाले थे।