चोरी-छिपे मछली पकड़ने के प्रदेश में सामने आए 54 मामले

सुरिंद्र जम्वाल। बिलासपुर

प्रदेश के जलाशयों में गत 16 जून से मत्स्य आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग चोरी-छिपे मत्स्य आखेट कर रहे हैं। मत्स्य विभाग ने अभी तक चोरी-छिपे मछली पकडऩे के प्रदेश में 54 मामले पकड़े हैं तथा इनसे 62 हजार रुपए जुर्माना वसूला है। विभाग ने गोविंद सागर झील में मत्स्य आखेट करने के 12 मामले पकड़े हैं तथा इनसे 20 हजार रुपए का जुर्माना वसूला है।

इसी प्रकार पौंगबांध में 32 मामले पकड़े हैं और 35 हजार रुपए का जुर्माना वसूला है तथा चमेरा में 10 मामले पकड़कर 7 हजार रुपए का जुर्माना वसूला है। मत्स्य निदेशक सतपाल मैहता ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस बार मत्स्य आखेट पर 16 जून से 15 अगस्त तक प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि पहले पहली जून से मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध रहता था, लेकिन अब इस अवधि को 16 जून से किया गया है तथा अब हर साल इसी दौरान मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध रहेगा।

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ समय से मानसून देरी से हिमाचल पहुंच रहा था तथा मानसून के दौरान ही मछली प्रजनन करती है, जिस कारण अब मत्स्य आखेट की अवधि में परिवर्तन किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बंद सीजन को सही तरीके से अमलीजाम पहनाने के लिए विभाग द्वारा जिला स्त्तर व प्रदेश स्त्तर पर अलग-अलग टीमें बनाई है।

उन्होंने बताया कि जिला स्त्तर पर डिप्टी डायरैक्टर की अगवाई में टीमें गठित की गई हैं, जो कि समय-समय पर जलाशयों का बोट व गाड़ियाें के माध्यम से निरीक्षण कर रही हैं। इसके अतिरिक्त गोविंद सागर झील में निगरानी रखने के लिए विभिन्न स्थलों पर 17 कैंप लगाए गए हैं। इन कैंपों में विभागीय कर्मचारी 24 घंटै झील की निगरानी कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त चमेरा व पौंग में भी 5-5 कैंप लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि विभागीय कर्मचारी इन्हीं कैंपों में रहकर अपने-अपने क्षेत्र में जलाशयों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि मौजूदा समय मछली प्रजनन करती है। इसलिए इस अवधि के दौरान मछली न पकड़ें।