उज्जवल हिमाचल। मंडी
अगर हौसला हो तो शारीरिक कमजोरी आपकी मंजिल तक पहुंचने में बाधक नही बनती है और न ही सपने ही टूटते हैं। इसे सच साबित कर दिखाया है जिला मंडी के गांव जनयानी पंचायत मोवी सेरी की बोशीया खिलाड़ी अंजलि ठाकुर ने। अंजलि की इसी हिम्मत व जुनून की बदौलत न सिर्फ अपना व अपने परिवार का नाम रोशन किया हैं बल्कि हिमाचल का नाम भी देश में चमकाया है।
7वीं सब जूनियर, जूनियर और सीनियर बोशीया नेशनल चौंपियनशिप का आयोजन स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा राजपुताना राइफल सेंटर, दिल्ली में किया गया। इस राष्ट्रीय चौम्पियनशिप में भारत भर के विभिन्न 21 राज्यों के शारीरिक रूप से विकलांग व्हीलचेयर खिलाड़ियों ने भाग लिया और बीसी विमन वर्ग के मुकाबले में हिमाचल प्रदेश की अंजलि ठाकुर ने इंडिविजुअल में एक गोल्ड और पेयर में सिल्वर मैडल जीता अंजलि की इस बड़ी उपलब्धि पर क्षेत्र में खुसी का माहौल है साथ ही हि.प्र व्हीलचेयर क्रिकेर टीम के कप्तान अमित ठाकुर ने भी आगामी प्रतियोगिता के लिए अंजली ठाकुर को शुभकामनाएं दी।
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सड़क हादसे में हुई थी स्पाइनल कॉर्ड इंजरी
18 साल की उम्र वर्ष 2018 में ही एक सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी जिसका वर्तमान समय कोई इलाज नही है दुर्घटना के बाद अंजलि दिव्यांग हो गयी और इसके कारण वह चलने-फिरने में सदा के लिए असमर्थ हो गयी। विकलांगता इतनी गंभीर थी कि उसका हाथ पैर भी काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद से वह पूरी तरह से व्हीलचेयर पर निर्भर हो गयी।
सोशल मीडिया के माध्यम से अपने जैसे दिव्यांगजनो से जुड़े तो उन्होंने स्पाइनल रिहैब चंडीगढ़ के बारे में बताया जहा पर स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी से ग्रसितो को आत्मनिर्भर किया जाता है। वहां 2022 में तीन महीने का रिहैब किया उस दौरान वहां पर अपने जैसे अनेक लोगो से मिलने का मौका मिला जो इस स्थिति में भी सामान्य की ज़िंदगी जी रहे थे। वही पर ही पहली बार बोशीया खेल के बारे में सुना था जिसे गंभीर रूप से दिव्यांगज खेलते है।