शराब माफिया हुआ सक्रिय, दबाव में प्रशासन हुआ निष्क्रिय

चैन गुलेरिया। जवाली
जवाली विधान सभा क्षेत्र में ईमानदार अधिकारियों की कोई कीमत नही। जो भी ईमानदार अधिकारी जवाली में अपनी सेवाएं देने के लिए आया उसे अपनी ईमानदारी की कुर्बानी देनी ही पड़ी। ऐसा ही एक मामला अभी दो दिन पहले  जवाली के पुलिस थाना के प्रभारी करतार सिंह के साथ घटा । थाना प्रभारी करतार के लगभग तीन महीनों के कार्यकाल में ही शराब माफ़िये हाय तौबा हाय तौबा करने लगे। इस ईमानदारी अधिकारी ने अपने छोटे से कार्यकाल में ही लाखों के हिसाब से कच्ची शराब खड्ड नालों में बहाई और काफी मात्रा मे अवैध भट्ठियां व कच्ची शराब निकालने वाले बर्तनों को तोड़ा। इस अधिकारी का तबादला करना चर्चा का विषय बना हुआ है। समस्त जनता इस अधिकारी के तबादले से काफी चिन्तित है ।अब सवाल यह उठता है कि जनता को इस ईमानदारी अधिकारी से कोई परेशानी नही है तो फिर इस थोड़े से अंतराल में तबादला क्यों हुआ।
कुछ बुद्धिजीवियों का कयास है कि शराब माफियों के हाथ लंबे है। उनपर बड़े बड़े नेताओं का आशीर्वाद है। शराब माफियों का धंधा चौपट करने वाला ईमानदार ,स्पष्टवादी, निष्पक्ष अधिकारी भ्र्ष्ट नेताओं के हाथों बलि का बकरा जरूर बनेगा। ऐसा ही करतार सिंह के आने से पहले थाना प्रभारी निर्मल दास थिंड में साथ हुआ उनको भी मात्र दो तीन महीने का ही यहां ठहरने का मौका मिला। एसडीएम अरुण शर्मा, तहसीलदार जोगिंदर पटियाल ऐसे कई अन्य अधिकारियों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। इस तरह के अल्पकालीन तबादले ईमानदार अधिकारी के प्रति कई सवालिया निशान पैदा हो जाते है जिससे अधिकारी का मनोबल गिरता है। अब जवाली की जनता असमंजस में है कि आखिर ईमानदार , निष्पक्ष अधिकारियों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है। तबादले नेताओं के द्वारा किये जाते है न कि जनता द्वारा।
बुद्धिजीवी वर्ग ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि जवाली में हो रहे ईमानदार अधिकारियों के तबादलों को गम्भीरता से ले और उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषियों के विरुद्ध कानूनी करवाई अमल में लायी जाय और जवाली के थाना प्रभारी करतार सिंह के अचानक हुए तबादले को रद्द किया जाए ताकि जनता को बिना वजह परेशानी न झेलना पड़े ।