सभी गाड़ियों की समय अवधि खत्म, विभाग ने याेजना के तहत ली गाड़ी

चमेल सिंह देसाईक। शिलाई

क्षेत्र के विकास में सरकार व नेताओं के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। मामला स्वास्थ्य विभाग शिलाई का है, जहां परिसर में चार-चार गाड़िया खड़ी है। बावजूद उसके अधिकारियों व कर्मचारियों को फील्ड व आपातकाल स्तिथियों में टैक्सी लेकर मौका पर पहुंचना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग परिसर में गाड़ी (एचपी17-1799) वर्ष 2004 से खड़ी है। दूसरी गाड़ी (एचपी-18-1943) जिला मुख्यालय नाहन मरीज लेकर गई थी, वापसी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई तथा 2012 से खड़ी है, तीसरी व चौथी गाड़ी (एचपी-18-0192), (एचपी-18ए-1312) पिछले एक वर्ष से तकनीकी खराबी के चलते खड़ी है।

अब सभी गाड़ियों की समय अवधि खत्म हो चुकी है। सरकार ने न तो इस गाड़ियों की नीलामी करवाई है न ही इनकी जगह नई गाड़ियां भेजी है। शिलाई स्वास्थ्य विभाग ने आरबीएसके योजना के तहत टैक्सी ली है, जो अस्पताल को आपातकालीन सेवाएं दे रहीं है। शिलाई प्रदेश का पिछड़ा व दुर्गम क्षेत्र है तथा सुविधाओं के अंबार हैं। बीएमओ शिलाई के पास फील्ड में जाने के लिए गाड़ी नहीं है। सरकार की योजनाएं घरद्वार पहुंचाने के लिए टैक्सी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें अकसर स्वास्थ्य विभाग मौका पर समय से नहीं पहुंच पाता है। अधिक समस्या आपातकाल के दौरान पेश आती है।

आश्चर्य इस बात से है कि सरकार ने शिलाई अस्पताल को सिविल अस्पताल का दर्जा दे दिया है। भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टियों के दिग्गज कागजी सुविधाओं के लिए मंचों से अपनी-अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकते हैं। कागजों में अच्छे स्वास्थ्य के खूब दावें नजर आते है, लेकिन धरातल पर हालात विपरीत हैं। खोखले दावे व गुमराह करने वाले कागजी आंकड़ों के कारण क्षेत्र वासियों के स्वास्थ्य का इलाज करने वाला शिलाई अस्पताल खुद लाईलाज बना हुआ है।

खंड चिकित्सक अधिकारी निसार अहमद ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि समय समय पर गाड़ियों की रिपोर्ट जिला मुख्यालय को आगामी कार्यवाही के लिए भेजी जाती रही है। नई गाड़ियां न मिलने पर आरबीएसके योजना से टैक्सी को लिया गया है। बीएमओ को फील्ड में जाने के लिए गाड़ी नही है न ही खड़ी गाड़ियों की नीलामी के आदेश उनको प्राप्त हुए है, शिलाई अस्पताल में कम से कम दो गाड़ियों की सख्त आवश्यकता है।