हृदय रोगी के इलाज में लापरवाही के आरोप

एसके शर्मा। हमीरपुर

टौणीदेवी के दारोगन गांव के हिमांशु ने टांडा में उपचार के दौरान अपने पिता की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि दिल के मरीज को टांडा मेडिकल कॉलेज के आईसोलेट वार्ड में भर्ती करने और उपचार में लापरवाही बरती गई है। मृतक व्यक्ति के पुत्र ने सरकार से इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की मांग की है। हिमांशु का आरोप है कि उसके पिता 6 मई को जालंधर से घर आए और 14 दिनों तक क्वारंटीन रहे।

उनका कोविड-19 का टेस्ट भी हुआ। जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई, जिसके बाद उन्हें घर भेज दिया। एक सप्ताह तक वे ठीक रहे और 28 मई की रात उन्हें हृदय गति की परेशानी हुई। इसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में रात को ही उपचार के लिए ले आए। वहां पर उनके टेस्ट हुए तो उनके हार्ट में ब्लॉकेज आई। जिसके बाद हमीरपुर से उन्हें टांडा मेडिकल कॉलेज को रेफर कर दिया, लेकिन हमीरपुर अस्पताल में भी गंभीर बीमार व्यक्ति को टांडा ले जाने के लिए समय पर एंबुलेंस नहीं मिली और करीब साढ़े 3 घंटे बाद एंबुलेंस उपलब्ध हुई।

टांडा अस्पताल में डॉक्टरों ने पिता को कोविड-19 के आईसोलेट वार्ड में भर्ती कर दिया और कोविड का सैंपल ले लिया। लेकिन, जो बीमारी उनको थी उसका समय पर उपचार नहीं किया गया। जिससे उनकी 29 मई की रात को मौत हो गई। इसके बाद जब उनकी कोविड के सैंपल की रिपोर्ट ली, तो उसमें फिर से पिता की रिपोर्ट नेगेटिव आई।

वहीं, टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने बताया कि अंतर जिला से और रेड जोन या हॉटस्पॉट से जो भी मरीज आता है। उसको पहले कोविड -19 के आईसोलेट वार्ड में रखना पड़ता है। उसके बाद उसका सैंपल लिया जाता है। अगर उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आए, तो उसके बाद उसका दूसरी बीमारी का इलाज शुरू होता है। मामला ध्यान में आया है। इसकी छानबीन की जाएगी।