नौकरी छोड़ बागवानी कर अंकित कमा रहे लाखों

अजीत वर्मा । जयसिंहपुर

 

कोरोना संकट ने दुनिया की जीवनशैली बदल कर रख दी । जहां रोजगार की संभावनाएं कम हुई वहीं कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ गया जबकि कईयों को नौकरी चले जाने की चिंता सता रही है । नौकरी के लिए बड़ी संख्या में लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं । लेकिन आज हम आपको उस युवक से मिला रहे हैं जिसने शहर छोड़कर गांव में रहकर खेती-बागवानी करना उचित समझा । यह कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जिनके पास ज़मीन है फिर भी वे शहर जाकर नौकरी करना पसंद करते हैं । हम बात कर रहे हैं जीरकपुर के अंकित की । जिन्होंने शहर का आराम दायक जीवन छोडकर हिमाचल के सिरमौर राजगढ़ में लीज पर ज़मीन लेकर सेब का बागीचा लगाकर आजीविका कमाने की सोची। अंकित जो पेशे से प्रोपर्टी डीलिंग का काम करते थे जिससे कमाई भी अच्छी-खासी थी लेकिन इन्हें आत्मनिर्भर बनना था । ये शहर की भीडभाड़ भरी ज़िन्दगी छोड़कर हिमाचल के शांत और शुद्ध वातावरण में गांव आए बागवानी करने लगे ।

अंकित से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें बागवानी करने की प्रेरणा अपने दोस्त से मिली। जिसने रजत बायोटेक घुमारवीं दधोल से सेब का रूट स्टाक लेकर मनाली में बागीचा लगाया और मात्र तीन सालों में उसकी साल की कमाई बहुत अच्छी होने लगी । अंकित ने बताया कि दोस्त की प्रेरणा से उसने भी रजत बायोटेक घुमारवीं दधोल से सेब रूट स्टाक के 2600 पौधे लगाए । जिनकी ग्रोथ चार महीनों में ही अच्छी आई । अंकित 2021 में लगभग छ: हज़ार सेब के पौधे और लगाने जा रहे हैं । अंकित ने रजत बायोटेक घुमारवीं दधोल के MD विनोद सोनी का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज के इस मतल्वी दौर में एक दुसरे से आगे निकलने के लिए लोग दूसरों का नुक्सान करने से भी परहेज नहीं करते लेकिन विनोद सोनी स्वयं बागीचों में जानकार बागवानों को टेक्नीकली गाइड करने के साथ जागरूक कर रहे हैं ।

अंकित ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि दुसरे के पास काम करने से अच्छा है कि अपना बोस स्वयं बनें और दूसरों को भी रोजगार दें ।