मौसम की मार से सेब की फसल तबाह

शैलेश शर्मा। चंबा

बीते वर्ष की तुलना में यह वर्ष हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए कुछ खास नहीं रहा है। बताते चलें कि प्रदेश के कुछ एक जिलों को छोड़कर बाकि के जिलों में मौसम की ऐसी मार पड़ी की, जो किसान अपनी वर्ष भर की अपनी आय अपने बाग-बगीचों से उत्पन कर लिया करते थे, पर आज मौसम की बेरुखी के चलते किसान और बागवान दाने-दाने को बेबस हो चूका है। मौसम की मार से अपनी फसलों को तबाह कर चुके बागवानों का कहना है कि हालांकि बर्फबारी के दौरान जब पेड़ों को चिलिंग समय की जरूरत थी, उस समय वह समय पूरा हो गया था, लेकिन जब पेड़ों पर सेव के फूल निकले, तो उस समय ओलावृष्टि ने पहले तो उन फूलों को काफी नुकसान पहुंचाया।

बाद में रही सही कसर जब पेड़ों में दाने आने लगे, तो उस समय भी ओलावृष्टि ने फसल को बर्बाद कर दिया। अब किसानों वागबानों को सरकार पर उम्मीद है कि शायद वह किसी तरह उनकी मदद करें और उनका गुजर बसर हो सके। इन लोगों का कहना है कि मौसम की मार के चलते हमारी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। अत: प्रदेश सरकार से निवेदन है कि पहाड़ी क्षेत्र में मौसम की मार पड़ती ही रहती है, जिस कारण जो हम लोगों ने थोड़े बहुत सेब के पौधे लगाए हुए हैं, उन पर सेब खत्म हो जाता है।

अगर इसको लेकर सरकार हमारी और थोड़ी-सी भी गौर करती है, तो हमारा भी निर्भाह हो सकता है।चुराह घाटी के गांव भसुवा के रहने वाले एक बागवान ने बताया कि इस बार सेब की फसल बिलकुल भी नहीं हुई है। इस बागवान ने प्रदेश सरकार पर टिपणी करते हुए कहा कि वैसे तो सरकार किसानों और बागवानों को लेकर बड़े बड़े दावे करती नहीं थकती है, पर हक्कित में यह सरे दावे ही रह जाते हैं।

फसल तबाह हो जाए, तो भी हम लोगों को मुआबजा नहीं मिलता है। बागवान ने बताया कि जितनी कर हमारे पास जमीन थी, उसमें तो हम लोगों ने सेब को लगा रखा है और उससे हर वर्ष एक से डेढ़ लाख तक का सेब बेच लिया करते थे, पर इस बार तो कुछ भी नहीं हुआ है। उसने बताया कि इसके अलावा हमारे पास कोई और आमदनी का साधन नहीं है।