क्या मौजूदा दौर में सच को सियासत का गुलाम बनाने काे रहे प्रयास : राणा

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। हमीरपुर

मौजूदा सियासी दौर में देश में सच के ऊपर संकट लगातार गहराता जा रहा है। यह दीगर है कि सच का अपना एक कुदरती स्वभाव है कि उसे जितने जोर से दबाने का प्रयास किया जाता है, वह उतनी ही तेजी से बाहर आता है। देश और प्रदेश में प्रचंड बहुमत से जीती सरकारों के राज में अगर देश सोशल मीडिया के एक ट्वीट से हिल रहा है, तो यह बताने के लिए काफी है कि देश में अभी भी सच के साथ चलने वाले हिम्मतवर लोग मौजूद हैं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा सियासत के दौर में यह सवाल आम आदमी के जहन में कौंध रहा है कि क्या सच अब सत्ता का गुलाम हो कर रह जाएगा। राणा ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने लगातार संघर्ष करते हुए जिन संवैधानिक संस्थाओं को देश हित में स्थापित किया था। वह संवैधानिक संस्थाएं जैसे चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग और बैंक इत्यादि अब संकट के दौर से गुजर रही हैं। यहां तक कि अब मीडिया, न्याय पालिका व जांच एजेंसियों का भी राजनीतिक प्रतिशोध के चलते दुरुपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है।

सरकार का विरोध करने वालों को देश का विरोधी करार दिया जा रहा है। सच बोलने वालों को सजायाफता मुजरिम करार देने की साजिशें रच कर, देश के आम नागरिक को खौफजदा करने का खतरनाक खेल लोकतंत्र के भविष्य के लिए घातक साबित होगा यह तय है। राणा ने कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर सोचें तो अगर हम अपनी आवाज की रक्षा नहीं कर सके, तो आम आदमी का इस देश में कोई रखवाला नहीं बचेगा। लोकतंत्र में रहते हुए दुनिया की सबसे बड़ी माने जाने वाली डेमोक्रेसी में अगर लोग सच नहीं बोल सकेंगे या सच के पक्ष में खड़ा रहने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे, तो यह डेमोक्रेसी किस काम की है यह सोचने जैसी बात है।

राणा ने कहा कि एक-एक संस्थान का डेमोक्रेटिक स्पेस एक साजिश के तहत खत्म किया जा रहा है, जिसके चलते जनता के हक में काम करने की कार्यशैली को भी खत्म किया जा रहा है। गणतंत्र के स्तंभों के अधिकारों का हनन निरंतर जारी है। राज्य और केंद्र की सरकारें एक तानाशाह की तरह राजकाज को चलाने के हथकंडे अपना रही हैं। आलम यह है कि देश में सच बोलने पर पाबंदी बढ़ रही है और प्रदेश में अगर आम आदमी के हक में अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए विपक्ष सच की आवाज उठा रहा है तो इस पर प्रदेश सरकार को गुस्सा आ रहा है। जिससे लगता है कि अब सियासत सच को अपना गुलाम बनाने पर आमादा हो चुकी है।