भारत विकास परिषद ने डॉ सूरज प्रकाश की 101वीं जयंती पर आयोजित की वर्चुअल संगोष्ठी

उज्ज्वल हिमाचल ब्यूरो। पालमपुर

भारत विकास परिषद के संस्थापक और राष्ट्रीय महामंत्री डॉ सूरज प्रकाश की 101वीं जयंती के अवसर पर परिषद सदस्यों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और डॉ सूरज प्रकाश के पदचिन्हों पर चलते हुए सेवा और संस्कार के परिषद कार्यों को गति प्रदान करने का संकल्प लिया। इस दौरान भारत विकास परिषद के उत्तर क्षेत्र-एक के क्षेत्रीय मंत्री सम्पर्क मनोज रत्न, प्रांतीय अध्यक्ष कमल सूद, प्रांतीय संरक्षक जितेंद्र बंटा, पालमपुर शाखा अध्यक्ष सुदर्शन वासुदेवा, महासचिव नरेंद्र दीक्षित, प्रांतीय संयुक्त सचिव संजय सूद, शाखा सम्पर्क प्रमुख कुशल कटोच, शाखा सेवा प्रमुख ई. संजय सूद, ई. राकेश चंदेल उपस्थित रहे जबकि प्रान्त महासचिव अरुण मल्होत्रा, प्रांतीय कोषाध्यक्ष आदित्य क़रीर व प्रांतीय संगठन मंत्री डॉ वीरेंद्र कौल सहित सभी शाखाओं के पदाधिकारी व् सदस्य वर्चुअल रूप से कार्यक्रम में जुड़े रहे।

वर्चुअल माध्यम से सम्पन्न संगोष्ठी में भारत विकास परिषद उत्तर क्षेत्र-एक के क्षेत्रीय मंत्री सम्पर्क मनोज रत्न ने डॉ सूरज प्रकाश के जीवन पर प्रकाश डाला और प्रान्त के अन्य सदस्यों से विचार साँझा किये। उन्होंने इस दौरान बताया कि डॉ सूरज प्रकाश का जीवन हमें समाज के प्रति हमारे दायित्व का बोध करवाता है और हमें प्रेरणा देता है कि देश के रचनात्मक विकास के लिए सम्पन्न वर्ग को निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

उन्होंने जानकरी दी कि अक्टूबर 1962 में चीन के भारत पर आक्रमण करने के समय भारतीय सैनिकों के पास न तो पर्याप्त हथियार थे एवं न ही हिमालय पर्वत की ऊंचाईयों पर शीत ऋतृ में पहनने योग्य वस्त्र थे। चीनी सैनिक टिड्डी दल की तरह भारत की उत्तरी सीमाओं में घुस आये एवं भारतीय सेना को भारी क्षति पहुंची। भारतीय सैनिकों का उत्साह बढ़ाने एवं उनकी यथा संभव सहायता करने हेतु डाक्टर सूरज प्रकाश ने दिल्ली में एक सिटीजन्स काउन्सिल या ‘जन-मंच’ की स्थापना की। सिटीजन कौसिंल ने जनता के बीच जाकर सीमा पर लड़ने वाले सैनिकों के लिये ऊनी वस्त्र, गर्म मोजे, स्वेटर, दवाइयां इत्यादि एकत्र की एवं सरकार को भेजनी प्रारम्भ की।

जनमंच को अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई एवं दिल्ली की जनता ने इसके कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। बाद में इसी संस्था को स्वामी विवेकानंद जी ने जन्म शताब्दी वर्ष 1963 में भारत विकास परिषद के रूप में पंजीकृत करवाया जोकि सेवा और संस्कार कार्यों के लिए विश्व भर में पहचान बना चुकी है। आज देश भर में भारत विकास परिषद की 1400 से ज्यादा शाखाएं हैं और सत्तर हजार से अधिक सदस्य परिवार हैं जो निरंतर सेवा कार्यों के माध्यम से डॉ सूरज प्रकाश के दिखाए मार्ग पर देश के निर्माण में सशक्त भूमिका अदा कर रही हैं।