अस्पताल में सामने आई बड़ी लापरवाही

शैलेश शर्मा। चंबा

लचर अव्यवस्थाएं किसी भी विभाग, राज्य, प्रदेश के लिए बहुत ही घातक हों सकती हैं, लापरवाही अव्यवस्था का ही एक हिस्सा है। आम लोग हर विभाग के कार्यकलापों पर आंखे मूंद कर विश्वास करते हैं और उनकी समस्याओं का निवारण हो, लेकिन कई बार विभागों की लापरवाही आम जनमानस के लिए जीवन और मृत्यु का कारण बन जाती हैं। ऐसी ही एक घटना जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति जो हृदय रोग से ग्रसित है।

अचानक उसकी तबीयत खराब होने पर वह अस्पताल में आता है और उसके बाद उसकी जांच करने के बाद कुछ टेस्ट लिखे जाते हैं, पूरी टेस्ट में उसका होमो ग्लोबिन का भी टेस्ट होता है और सरकारी अस्पताल की पैथोलैब में कार्यरत लोगों द्वारा टेस्ट रिपोर्ट बनाई जाती है। रिपोर्ट में निकल कर आता है कि उक्त व्यक्ति में मात्र 5.9 ही ग्राम खून बचा है, जैसे ही उस मरीज को पता लगता है वह आनन-फानन में खून का इंतजाम करने लगते है, लेकिन एहतियात के तौर पर सतर्कता दिखाते हुए मरीज बाहर बनी निजी टैस्टलैब में अपने खून की दोबारा जांच करवाता है।

हैरानी तब होती है, जब दोनों निजी टेस्ट लैब में क्रमशः 12.8 ग्राम और दूसरी निजी लैब मैं 13.8 ग्राम खून की रिपोर्ट निकल कर सामने आती है। यहां पर सवाल यह उठता है कि यदि उस व्यक्ति को खून चढ़ा दिया जाता तो उस व्यक्ति की क्या हालत होती और उस हालत के लिए कौन जिम्मेदार होता। यह तो उस व्यक्ति की सजगता और सचेतना की वजह से वह व्यक्ति बच गया, परंतु यहां यह प्रश्न चिन्ह भी लग जाता है कि इससे पहले होने वाले तमाम टैस्ट क्या सही पाए गए थे, इससे पहले होने वाले तमाम टेस्टों की रिपोर्ट कितनी सटीक रही है और कितने लोगों का खून की रिपोर्ट्स के माध्यम से इलाज हो रहा है, फिलहाल यह मशीन की गलती है।

यह वहां काम करने वाले लोगों की गलती है, इस पर तो अभी संशय बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग ने भी कार्यवाही करने की चेतावनी देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है, परंतु यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती, तो उसका जिम्मेदार कौन होता। वहीं, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इलाज करवा रहे मरीज रफी मोहम्मद ने बताया कि वह पिछले 4 सालों से हृदय रोग का इलाज करवा रहा है। उसे रात को कुछ ह्रदय में समस्या हुई थी। इसलिए वह यहां अस्पताल में अपना चेकअप करवाने के लिए आया और उसे यहां पर भर्ती कर लिया था।

उसे डॉक्टर द्वारा रक्त जांच के लिए परामर्श किया। जब उन्होंने यहां अस्पताल में रक्त की जांच करवाई, तो उनका खून 5.9 ग्राम बताया गया फिर उन्हें खून मंगवाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने अपने शक दूर करने के लिए बाहर निजी लैब में जाकर टेस्ट करवाया, वहां पर उन्हें पता चला कि खून 12.8 ग्राम है, लेकिन उन्होंने फिर दोबारा एक और अन्य निजी लैब में जब टेस्ट करवाए, तो वहां पर भी 13.8 ग्राम खून निकला। उन्होंने बताया कि अगर मैं यहां अस्पताल की रिपोर्ट के उसके अनुसार मान के चलता, तो मुझे खून चढ़ा दिया जाता और मेरी मौत भी हो सकती थी। उन्होंने बताया कि मैंने इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को दे दी है और अब वह मांग करते हैं कि इस तरह की लैब पर उचित कार्रवाई की जाए।

वहीं, अस्पताल के मेडिकल सुपरडेंट में बताया कि एक मरीज ने यहां शिकायत की है कि उसकी रिपोर्ट यहां पर अस्पताल की लैब में ली गई थी, वहां 5.9 ग्राम खून बताया गया, लेकिन उन्होंने दो जगह बाहर निजी लैब में टेस्ट कराया, तो उनकी खून की रिपोर्ट 12.8 और दूसरी निजी लैब मैं 13. 8 ग्राम बताई गई। उन्होंने बताया की इसकी जानकारी लैब के उच्च अधिकारी को जांच के लिए लिख दिया गया है और जल्द ही इसकी जांच की जाएगी। अगर वह कोई भी दोषी निकलता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।