नड्डा व पासवान के बयान दुर्भाग्यपूर्ण : जम्वाल

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

सामान्य वर्ग संयुक्त मंच हिमाचल प्रदेश ने उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल ही में नौकरी तथा प्रमोशन आदि में आरक्षण को मौलिक अधिकार ना होने के एतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। लेकिन इस पर भाजपा प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान अध्यक्ष लोक जनशक्ति पार्टी द्वारा जारी किए गए बयानों की घोर निंदा की है। सामान्य वर्ग संयुक्त मंच के शीर्ष पदाधिकारियों के सर्वसम्मति से निर्णय लेने के उपरांत प्रदेश संयोजक केएस जम्वाल तथा प्रदेश महासचिव राजपूत महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर को इसके विरोध में एक विस्तृत ज्ञापन आनलाईन माध्यम से भेजा गया।


नड्डा व पासवान के बयान दुर्भाग्यपूर्ण : जम्वाल

केएस जम्वाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आरक्षण के ऊपर फैसले के तुरंत बाद भाजपा अध्यक्ष तथा उनकी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान का बयान आना अत्यंत ही निंदनीय है। इस समय पर जगत प्रकाश नड्डा की इस फैसले पर यह प्रतिक्रिया कि उनकी पार्टी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आरक्षण को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है तथा उनकी सहयोगी पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का इस मामले में विरोध करने के लिए सभी दलों से साथ आने की अपील और आरक्षण से जुड़े सभी कानूनो को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाल देने के लिए सरेआम उलंघन करना जिससे कोई भी केस अदालत में पेश ही न हो सके बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

देशवासियों में न हो जाति या वर्ग का भेदभाव : केएस जम्वाल

केएस जम्वाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में मांग कि वे अपनी पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों और केंद्रीय मंत्रियों को उच्चतम न्यायालय के ऐसे ही किसी निर्णय के विरुद्ध तथा सामान्य वर्ग के मौलिक अधिकारों के विरोध में कोई उल्टे सीधे अनैतिक ब्यान ना दें। इससे देश व प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा होगा और विभिन्न जातियों में अंर्तकलह के कारण कोई अवांछित विस्फोटक परिस्थिति उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग संयुक्त मंच तथा महासभा एससी एसटी वर्ग के लोगों को किसी प्रकार से आथिर्क या किसी दूसरे रूप में सहायता करने के विरुद्ध नहीं है। मगर जो भी सामाजिक रूप से ऊपर उठ जाता है या आर्थिक रूप से संपन्न हो जाता है उसे इस आरक्षण से बाहर कर देना चाहिए ताकि यह सभी सहायता की योजनाएं बिना किसी जाति या वर्ग के भेदभाव के जरूरत मन्द लोगों तक पहुंच सके।

प्रधानमंत्री रखें सामान्य वर्ग के हितों का भी ध्यान

उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग कि वे जब भी एससी एसटी वर्ग की सहायतार्थ कोई निर्णय लेते हैं तो उस समय 70 प्रतिशत के करीब सामान्य वर्ग के लोगों के हितों का भी ध्यान रखें। इससे उनके न्याय व जीने के मौलिक अधिकारों का किसी प्रकार से हनन ना हो और समाज में समानता व समरसता बनी रहे। उन्होंने केंद्र सरकार से वर्तमान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिए गए निर्णय के विरुद्ध कोई अन्य अनैतिक कानून या बिल आदि न लाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी बातों पर गौर नहीं करेगी तो उन्हें भी अपने जारी सघंर्ष को और तेज करने के लिए सडकों पर उतरने पर मजबूर होना पडेगा, जिसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार होगी।