नालागढ़ अस्पताल से सामने आई बड़ी लापरवाही

सुरेंद्र सिंह सोनी। बद्दी
जहां विश्व भर में लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं और एकमात्र स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों के भरोसे अपने जीवन को सुरक्षित समझ रहे हैं। वहीं उपमंडल नालागढ़ का एक मात्र सरकारी अस्पताल जिसमें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मुर्दाघर में रखा शव सड़ गया। मृतक के परिजनों  के अनुसार 16 जून को अचानक तबीयत खराब होने के चलते उनके पुत्र सागर की मौत हो गई थी, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोविड-19 के टेस्ट के लिए शव को नालागढ़ अस्पताल प्रशासन द्वारा शव गृह के फ्रिज़र में रख दिया गया था। परिवार के लोग शव को लेने नालागढ़ अस्पताल पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि शव की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी और शव से बहुत तेज दुर्गंध भी आने लगी थी। जब अस्पताल प्रशासन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि फ्रिज़र तो काम कर रहा है, परंतु शव किस प्रकार सड़ गया है। इसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता।

वहीं दूसरी ओर मृतक के परिवार वालों नें नालागढ़ अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि शव की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसे पहचानना भी मुश्किल हो चुका था। उन्होंने बताया कि मृतक की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इस मामले की जानकारी के लिए बीएमओ नालागढ़ से बात करनी चाही तो पता चला कि वह छुट्टी पर है। नालागढ़ प्रशासन की तरफ से जब डॉक्टर आनंद से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच की जाएगी, कि फ्रिज़र में रखा हुआ शव कैसे और क्यों सड़ गया। उन्होंने यह भी बताया कि फ्रिज़र पूर्ण रूप से कार्य कर रहा था और अस्पताल प्रशासन ने इलेक्ट्रीशियन के द्वारा फ्रिज़र को चेक भी करवाया।
लेकिन हैरानी की बात तो यह है, कि जहां प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बडी-बड़ी बातें की जाती हैं। वहीं एक एसा मामला सामनें आता है, जिसमें एक मृत व्यक्ति का शव दो दिनों से उसके परिवार से दूर था। जब परिवार के सदस्य शव लेने अस्पताल पहुंचे, तो शव की इतनी बुरी दुर्दशा देखकर सब हैरान रह गए। परिवार वालों ने अस्पताल प्रबधंन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया। वहीं मृतक के परिजनों नें सरकार व प्रशासन से मांग कि है कि नालगढ़ अस्पताल प्रबधंन पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये ताकि जो कुछ उन्हें झेलना पड़ा है वह किसी ओर को न झेलना पड़े।