संक्रमित मरीजाें काे रैफर करेगा केंद्रीय समर्पित डेस्क

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

रेमडेसिविर व स्टेरायड का चिकित्सक के परामर्श के बिना इस्तेमाल घातक है, जो कोरोना को दबाने के बाद दोबारा से संक्रमित कर रहा है। यह खुलासा कोविड क्लीनिकल समीति के किए गए डेथ ऑडिट में सामने आया है। यह बात भी पता चली है कि कोविड देखभाल केंद्रों से गंभीर मरीजों को देर से रेफर करने से भी कुछ मौतें हुई हैं। गंभीर मरीजों को समय पर रेफर किया जा सके, इसके लिए केंद्रीय समर्पित डेस्क स्थापित किया जाएगा। यह डेस्क रात-दिन काम करेगा।

कोरोना रोगी की देखभाल में शामिल डाक्टरों व अन्यों को राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान और एम्स की ओर से किए जा रहे नियमित अपडेट में भाग लेने का निर्देश दिया गया है। कई मामलों में सामने आया है कि लोग कोरोना बीमारी के दौरान सक्षम चिकित्सा कर्मियों से परामर्श किए बिना अंधाधुंध स्टेरायड ले रहे हैं।

इस कारण शरीर से वायरस की निकासी में देरी हो सकती है और प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। इनके अधिक उपयोग से ही फंगस रोग में वृद्धि हो सकती है। हर डीसीएचसी और डीसीएच में एक रेमडेसिविर ऑडिट कमेटी स्थापित की जानी चाहिए जो केस-टू-केस आधार पर साझा निर्णय लेगी। निदेशक राज्य सूचना प्रौद्योगिकी विभाग आशुतोष गर्ग ने कहा इस समय वैक्सीन ही तो कोरोना संक्रमण से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। इसलिए जब भी स्लॉट मिलता है, तो प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन डोज लगवानी चाहिए।

भारत सरकार से स्वीकृत सभी कंपनियों की वैक्सीन प्रभावशाली है और कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए उपयुक्त है, जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर घातक रूप से प्रभाव छोड़ रही है। ऐसे में इस वायरस के खतरे से वैक्सीन ही हमें सुरक्षित रखेगी। यह तो वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणिक हो चुका है कि जो भी व्यक्ति वैक्सीन की दोनों डोज लेगा, वह कोरोना संक्रमण से बहुत कम प्रभावित होगा।

मैं कहना चाहूंगा कि लोग बिना किसी संदेह वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आएं। मैंने और मेरे स्वजन ने वैक्सीन की डोज ले ली है। वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाने वालों से दूरी बनाएं। हम सबको वैक्सीनेशन की गंभीरता को समझना चाहिए। जब प्रदेश के अधिकांश लोग टीकाकरण करवा चुके होंगे, तो सुरक्षित जीवन का रास्ता खुलेगा।