हिमाचल के निराश्रित बच्चों को सरकार का तोहफा, 4.68 करोड़ रुपए की राशि की वितरित

उज्जवल हिमाचल। शिमला

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर तीन अक्टूबर का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत प्रदेश भर के 2 हजार 466 निराश्रित बच्चों को 4.68 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई। कार्यक्रम में प्रदेश भर के करीब 900 बच्चों ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि सरकार इन बच्चों को इनका अधिकार दे रही है। हिमाचल प्रदेश आज पूरे देश के सामने एक उदाहरण के तौर पर स्थापित हुआ, जहां कानून के तहत निराश्रित बच्चों का उनका अधिकार दिया जा रहा है। कार्यक्रम में 30 बच्चों को एडवांस लैपटॉप भी वितरित किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश भर के अन्य 298 से निराश्रित बच्चे जो 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ रहे हैं, उन्हें भी आने वाले तीन से चार दिन में लैपटॉप उपलब्ध करवाए जाएंगे।

रिश्तेदारों के पास रह रहे अनाथ बच्चों को भी मिलेगा लाभ

मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत प्रदेश मैहर में ऐसे 2 हजार 700 बच्चों की पहचान की गई है, जो अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं, उन्हें भी सरकार 27 साल की उम्र तक हर महीने चार हजार रुपए की पॉकेट मनी देगी। इसके अलावा, सरकार 12वीं के बाद इन बच्चों की पीएचडी तक की पढ़ाई तक का खर्च उठाएगी। सरकार ने योजना के तहत बच्चों की कोचिंग और स्वरोजगार के लिए भी आर्थिक मदद देने की बात कही है। हिमाचल प्रदेश के निराश्रित बच्चों को 18 साल से 27 साल की उम्र तक हर महीने चार हजार रुपए की मदद मिलेगी।

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इस तरह निराश्रित बच्चों को हर साल 48 हजार की राशि उपलब्ध होगी। इसके अलावा, बच्चों को कपड़े खरीदने के लिए भी हर साल 10 हजार की राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। स्वरोजगार के लिए सरकार निराश्रित बच्चों को दो लाख रुपए की मदद उपलब्ध करवाएगी। आज हुए कार्यक्रम में भी तीन बच्चों को दो-दो लाख रुपए की राशि उपलब्ध करवाई गई। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत निराश्रित बच्चों को साल में 15 दिन एक्सपोजर टूर की सुविधा मिलेगी। इसमें बच्चे रेल और हवाई यात्रा का मजा लेंगे और तीन सितारा होटल में रहेंगे।

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि समाज सभी को जोड़कर बनता है। ऐसे बच्चों को कभी खुद को समाज से अलग जोड़कर अलग रखकर देखने की जरूरत नहीं है। सभी बच्चे समाज का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस योजना की शुरुआत से ऐसे बच्चों को समाज के साथ जोड़ने का मौका मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किन्हीं बच्चों में से लक्ष्य निर्धारित कर चलने वाले कल मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वह खुद ताट में बैठकर सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते थे और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। ऐसे में कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही बच्चे कल खिलाड़ी, इंजीनियर, डॉक्टर और नेता बनकर समाज और प्रदेश का नाम रोशन करेंगे।

ब्यूरो रिपोर्ट शिमला

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