जर्जर हालत में महाविद्यालय का भवन, माैत के साय में विद्यार्थी व स्टाफ

चमेल सिंह देसाईक। शिलाई

पिछले चार वर्षों से न भवन, न स्टॉप, न ही मुलभुत सुविधाएं मिल रही है, बदहाली के आंसू बहाने वाला रोनहाट कस्बे का महाविद्यालय, शासन, प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर रहा है। महाविद्यालय में लगभग 150 के करीब छात्र, छात्राएं, दो शिक्षक व एक कमरे के सहारे प्रदेश व देश मे प्रथम होने के नामुकिन सपने देख रहे हैं। महाविद्यालय के कमरे ऐसे हैं, जिनका यह नहीं पता कि कब गिरकर, छात्रों व शिक्षकों की जान पर भारी पड़ जाए, यहां प्रदेश सरकार, स्थानीय प्रशासन व नेताओं के खोखले दावे भविष्य के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे है।

वर्ष 2017 में महाविद्यालय का पहला सत्र बिठाया गया है, उसी दौरान महाविद्यालय के लिए स्थानीय निवासियों ने जमीन का प्रावधान करके संबंधित विभाग व सरकार के नाम लगभग 35 बीघा जमीन की है, ताकि जल्द महाविद्यालय का निर्माण किया जा सकें, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते रोनहाट महाविद्यालय दर-दर की ठोकरे खाता नजर आ रहा है। महाविद्यालय के लिए निजी भवन भी काम नही आ रहे हैं।

महाविद्यालय में पढ़ रहे, अलग-अलग विषयों के छात्र, छात्राओं को भेड़-बकरियों की तरह एक ही कमरे में एकत्रित करके पढ़ाया जाता है। प्राथमिक हेल्थ सेंटर के जर्जर हालत भवन में चल रहे, महाविद्यालय के कही से पत्थर गिर रहे हैं, तो कही से रेत सीमेंट गिर रहा है। दो कमरे के भवन में महाविधायल का कार्यालय चल रहा है, जहां एक कमरे में महाविद्यालय के तीनों श्रेणियों की कक्षाएं चल रही है। वर्तमान स्तिथि की बात की जाएं तो महाविद्यालय के अंदर बीए व बीकॉम की कक्षाएं बैठनी थी, लेकिन महाविद्यालय की दयनीय हालत को देखते हुए बीकॉम कक्षा में किसी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है, बीए में लगभग 150 छात्रों में से 100 छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने पहुंच रही है।

महाविद्याल के अंदर पॉलिटिकल साइंस व इकोनॉमिक्स के शिक्षक ही तैनात है, बाकी, अंग्रेजी, हिंदी, इतिहास, कॉमर्स शिक्षकों सहित प्रधानाचार्य पद शुरू से अब तक खाली चल रहे है। इतना ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ सहायक, क्लर्क, लेब एसिस्टेंट, उप-सहायक सहित तमाम पद खाली पड़े हैं। लगभग 18 पदों मेसे 12 पद रिक्त चल रहे है। छात्र, छात्राओं सहित क्षेत्रीय लोगों की माने तो रोनहाट महाविद्यालय प्रदेश सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहा है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद किसी ने महाविद्यालय की सुध नहीं ली है, या यूं कहो कि लाधिक्षेत्र से पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लीड मिली थी, इस कारण वर्तमान सरकार ने अनदेखी की है।

छात्रों सहित क्षेत्रीय लोगों ने कई बार नेताओ सहित सरकार को मांगपत्र सौपकर समाधान मांगा है, लेकिन सत्तासीन नेता, केंद्र सरकार की योजनाओं को गिनाकर क्षेत्र में अपनी बातों से लोगों को दिल्ली पहुंचा देते है और क्षेत्र की समस्याएं जस की तस बनी हुई है। महाविद्यालय में न लाइब्रेरी की सुविधाएं है, न महाविद्यालय का भवन है, न ही स्टॉप है, एनएसएस व एससीसी की फीस छात्रों से पूरी काटी जा रही है, लेकिन सुविधाएं नहीं है। क्षेत्रवासियों के बच्चों का भविष्य सरकार जानकर अंधेरे में डाल रही है, क्षेत्र वासियों ने रोष भरे स्वर में बताया कि यदि सरकार ने महाविद्यालय की दयनीय हालातों पर जल्द समाधान के कदम न उठाएं, तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।

रोनहाट महाविद्यालय के कार्यकारी प्रधानाचार्य नरेंद्र शर्मा बताते हैं कि समय समय पर महाविद्यालय की दयनीय स्तिथि को लेकर विभाग को सरकार के समक्ष रखा गया है, रिक्त पदों व भवन को लेकर सभी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है, महाविद्यालय की जर्जर हालत के बारे में भी लिखा गया है, कार्यवाही करना सरकार व उच्चाधिकारियों के कार्यक्षेत्र में है, उनकी कोशिश है कि किस तरह बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सकें।