नूरपुर की स्वास्थ्य सेवाएं वेेंटिलेटर पर, हास्पिटल बना रैफरल अस्पताल: अजय महाजन

जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व पूर्व विधायक ने जयराम सरकार पर साधा निशाना

विनय महाजन। नूरपुर

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अजय महाजन ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश में जयराम सरकार के कार्यकाल में नूरपुर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं वेेंटिलेटर पर है। महाजन ने कहा कि इसका जीता जागता उदाहरण जयराम सरकार द्वारा घोषित 200 बिस्तर का सिविल अस्पताल है। यहां विशेषज्ञों की कमी होने के कारण स्थानीय जनता पंजाब व आस पास के निजी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च उपचार करवाने के लिए मजबूर है । सरकार की इस अस्पताल के लिये सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि सरकार ने इसे रैफर अस्पताल बना दिया है । महाजन ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ने अपने पहले नूरपुर  प्रवास में नूरपुर अस्पताल को 200 विस्तर का दर्जा देने व ब्लड बैंक स्वीकृत करने की घोषणा की थी, जबकि सरकार का चौथा साल चल रहा है तथा वो घोषणा भी सिर्फ कागजों में सीमित है। पूर्व विधायक ने कहा कि नूरपुर का उपमंडलीय अस्पताल पर 5 विधानसभा क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने आते है जबकि अस्पताल की हालत यह है कि न तो यहां त्वचा रोग, न आंख रोग, न नियमित रेडियोलॉजिस्ट और न ही स्त्री रोग विशेषज्ञ उपलब्ध है।

  • बोले, कागजों तक ही सीमित रहीं घोषणाएं

महाजन ने कहा की मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ जतिन्द्र के निधन के बाद यह पद भी रिक्त हो गया है। महाजन ने कहा कि नूरपुर अस्पताल की हालत यह है कि अस्पताल में कार्य कर रहे चिकित्सक व स्टाफ पर काम का बहुत दबाब है। जनहित सुविधा न होने से इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाहरी राज्यों मे महगा इलाज करवाना अपनी सेहत के लिए करवाना पड़ रहा है महाजन ने कहा कि स्थानीय विधायक एवं मंत्री राकेश पठानिया टांडा मेडिकल कालेज की दशा पर तो सरकार के समक्ष मुद्दा उठाते हैं लेकिन नूरपुर अस्पताल के दुर्दशा पर चुप क्यों है। महाजन ने कहा कि स्थानीय विधायक एवं मंत्री ने चुनावों से पहले व सत्ता में आने के बाद नूरपुर अस्पताल में विशेषज्ञों की तैनाती के बड़े बड़े दावे किए थे, आज वह चुप क्यों है। महाजन ने कहा कि कांग्रेस शासन काल में सन 2017 में केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं की डिलीवरी के लिए प्रदेश में मातृ शिशु अस्पतालों के तोहफा दिया था जिनमें नूरपुर में भी एक अस्पताल स्वीकृत हुआ था। लेकिन 10 करोड़ का बजट मिलने के बाद भी सरकार के साढ़े 3 साल होने पर भी आज तक उक्त अस्पताल जनता को समर्पित नहीं किया गया।

महाजन ने कहा कि कोरोना महामारी में गर्भवती महिलाओं को उक्त अस्पताल शुरू न होने व स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक न होने के कारण पंजाब व क्षेत्र के निजी अस्पतालों व कई किलोमीटर दूर टांडा मेडिकल कालेज जाना पड़ रहा है। निजी अस्पतालों में एक तो पैसे की बर्बादी हो रही है ऊपर से कोरोना से संक्रमण का खतरा। उन्होंने कहा कि सरकार नूरपुर से भेदभाव कर रही है जिसका खामियाजा अगले विस चुनावों में सरकार भुगतने को तैयार रहे मेरे पिताजी का यह अस्पताल गरीब लोगों के लिए एक सपना था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे एक रैफर अस्पताल बना दिया।