उज्जवल हिमाचल। शिमला
कांग्रेस सरकार पूर्व की बीजेपी सरकार के चुनावों के कुछ महीनों पहले लिए फैसलों को लगातार रिव्यु कर रही है। अब सरकार ने पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार द्वारा बनाए बिजली बोर्ड के नए डिवीजन भी डी-नोटिफाई किया हैं। सरकार के इन तमाम निर्णयों के खिलाफ बीजेपी मुखर हो गई हैं। विपक्ष ने सरकार को इन निर्णयों को पुनः विचार करने के लिए कहा है और चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो भाजपा सड़क से लेकर सदन तक इसका विरोध करेगी।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक रणधीर शर्मा ने शिमला में कहा कि कांग्रेस की नई नवेली सरकार ने 10 दिन में एक भी निर्णय जनहित में नहीं लिया हैं। अभी तक एक भी चुनावी वायदे की शरुआत नहीं हो पाई। जनविरोधी निर्णयों के साथ सरकार ने आगाज किया। बीजेपी इसकी निंदा करती हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व की बीजेपी सरकार ने जनता के हित में अनेक निर्णय लिए। लेकिन अब की सरकार अपनी कैबिनेट तक नहीं बना पाए हैं। मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री बनते ही 1 अप्रैल 2022 के बाद के निर्णय को रिव्यु कर कई संस्थानों को डी नोटिफाई करने का काम किया हैं।
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यह तर्क संगत नहीं हैं. तुगलकी फरमान सुनाते हुए बिजली बोर्ड के अनेक संस्थान डी नोटिफाई किए हैं, शिवा प्रोजेक्ट के धर्मपुर कार्यालय को भी बंद किया हैं. सरकार निर्णन्यो पर पुनर्विचार करें अन्यथा बीजेपी सड़क से सदन तक सरकार का विरोध कर इन संस्थानों को पुनः खोलने के लिए बाध्य करेंगी।
उन्होंने कहा कि सीमेंट कम्पनीयों की तालाबंदी हो गई। सरकार ने समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किया हजारों लोगों पर रोजगार संकट खड़ा हो गया लेकिन सरकार दिल्ली, राजस्थान के सैर स्पाटे में व्यस्त हैं। सरकार इसका समाधान करें बीजेपी प्रभावितो के साथ मिलकर आंदोलन करेंगी जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाल करने की बात कही गई थी दस दिन हो गए लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन ही नहीं हो पाया। इस सरकार ने कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक किया हैं।
15 सौ रूपये प्रतिमाह देने की बात कही लेकिन अब पहले आर्थिक संसाधन खडे करने की बात कह रहें हैं। मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के बयानों में विरोधाभास हैं इससे इनकी कार्यप्रणाली का अंदाजा लगाया जा सकता हैं। छोटे से प्रदेश में उपमुख्यमंत्री का पद सृजित किया और फिजूलखर्ची को बढ़ावा दिया।