बेटी काे नहीं मिला इलाज, ताे गांव में ही खाेल दिया काेविड सेंटर

उज्जवल हिमाचल। जबलपुर

पांढरवानी लालबर्रा के प्रशांत जैन ने बताया कि व्यापारी की 19 वर्षीय बेटी को संक्रमित होने पर गत 18 अप्रैल को जिला अस्पताल लाया गया था। एक घंटे इंतजार के बाद वह भर्ती हो पाई। दस दिन तक भर्ती रहने के दौरान यहां पर खाने की समस्या हुई। डॉक्टर भी मरीज पर ध्यान नहीं देते थे। इसके साथ ही गांव से बालाघाट की दूरी 26 किलोमीटर है। आसपास ज्यादा संक्रमित मिलने के कारण गांव में कोविड सेंटर खोलने की मांग ग्रामीणों ने की। इस पर यहां कोविड सेंटर शुरू किया गया।

देश में जगह-जगह बेड और ऑक्सीजन की किल्लत देखने को मिल रही है। इससे मध्य प्रदेश में बालाघाट जिला के पांढरवानी लालबर्रा गांव के लोगों ने प्रेरणा ली। यहां के एक व्यापारी की बेटी को जिला मुख्यालय में ठीक से इलाज नहीं मिला। इस पर ग्रामीणों ने गांव में कोविड सेंटर खोलने की मांग की। स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में यहां के कॉलेज के बालिका छात्रावास में 30 बिस्तर का कोविड सेंटर खुल गया है। ग्रामीणों ने चंदा कर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, कूलर, पीपीटी किट समेत अन्य व्यवस्थाएं की हैं। सरकारी डाक्टर यहां दिन में दो बार मरीज देखने आते हैं। खुद के खर्च पर सहायक और सफाई कर्मी भी रखे हैं। गांव वाले मरीजों के दोनों वक्त के नाश्ते व खाने की भी व्यवस्था कर रहे हैं।

पांढरवानी लालबर्रा के प्रशांत जैन, प्रसन्न अवधिया, अंकुर व अंकुश अग्रवाल बताते हैं कि हमने इंटरनेट मीडिया पर दो ग्रुप बनाए, जिसमें पहले ग्रुप के जरिये सात लाख व दूसरे ग्रुप के जरिये तीन लाख रुपए और अन्य जगहों से मिलाकर 12 लाख रुपए जुटाए।

13 दिन में अब तक आठ लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बालाघाट के सीएमएचओ डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि पांढरवानी लालबर्रा में ग्रामीणों ने जनसहयोग से कोविड सेंटर खोलने की पहल की है। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर भी मरीजों का इलाज करते हैं। इस आपदा में जनसहयोग मिलना सराहनीय है।