दीपक लहोरवी द्वारा प्रशासन व समाज को गुमराह करने का सिलसिला अभी भी जारी

Deepak Lahorvi continues to mislead the administration and the society

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय वाल्मीकि महासभा पंजीकृत नई दिल्ली (हि. प्र,) व परमजीत सिंह भाटिया जिलाध्यक्ष जिला वाल्मीकि सभा पंजीकृत दोनों ने सयुंक्त व्यान देकर समाचार पत्र में दीपक लहोरवी द्वारा लगवाई गई खबर का कि, “वाल्मीकि सभा धर्मशाला का प्रशासन की देख-रेख में चुनाव में दीपक को सौंपा प्रधान पद“ की कड़ी निंदा ओर विरोध किया है। जिलाध्यक्ष ने कहा है कि इस व्यक्ति का ना तो कोई बजूद है ओर ना ही जनाधार है।

सुदेश सहोंतरा ने कहा कि इस व्यक्ति ने 2013 में अपने सगे रिश्तेदारों व चंद अन्य लोगां के साथ मिलकर एक सोसाइटी बनाई थी। जिसे वाल्मीकि सोसाइटी का नाम देकर रजिस्टर्ड करवाया था, ना कि वाल्मीकि सभा धर्मशाला। यहाँ वाल्मीकि समाज के 500–600 के करीब लोग है। इस व्यक्ति ने आज तक सोसाइटी के चुनाव नहीं करवाए। बल्कि सोसाइटी का प्रधान होने के साथ इसने इस सोसाइटी को वाल्मीकि सभा धर्मशाला का नाम देकर राजनीती करने लगा। नियमों के अनुसार चुनाव 2016 फिर 2019 ओर 2022 में होने थे।

लेकिन, इसकी तानाशाही इतनी है कि चुनाव तो क्या करवाने बस इसका जनाधार गिर गया। समाज इसको प्रधान पद पर नहीं देखना चाहता था तो इसने अपना खास जो सोसाइटी का सदस्य भी नहीं था उसे वाल्मीकि सभा का प्रधान नियुक्त करवा दिया। आज तक इसने समाज को कोई भी अपने कार्यों का कोई हिसाब नहीं दिया ओर ना ही ओडिट करवाया। इनका समाज पर राजनीती करने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ।

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सुदेश सहोत्रा ने बताया कि पूर्व प्रधान रमेश वाली ने धर्मशाला में जो वाल्मीकि समाज द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जे किए हुए है उन्हें नियमित करवाने के लिए गरीब लोगों से प्रति घर, प्रति परिवार से 1000 रु. इकठा करके हजारों रु. जमा किए है जिसका हमारे पास पुख्ता सबूत है। बाबजूद इसके ना तो जमीनें लोगो के नाम हुई ओर ना ही रमेश वाली ने समाज के लोगो के पैसे वापिस किए। परिणाम स्वरूप 26 मार्च 2022 को वाल्मीकि विरादरी ने प्रवीण जॉय को वाल्मीकि सभा सिविल बाजार धर्मशाला का प्रधान नियुक्त कर लिया है।

अब जबकि यह महिला समाज मे अपनी पकड़ भी रखती है ओर अच्छा काम समाज के हित मे कर रही है। अभी हाल ही मे इन्होंने भगवान वाल्मीकि जी के मंदिर मे अपनी निजी राशि हजारों के हिसाब से मंदिर की साज सज्जा पर खर्च की। समाज के हर व्यक्ति के सुख दुख मे यह महिला साथ देती है। इनके इस प्रकार से बढ़ते जनाधार को देखते हुए दीपक ओर रमेश वाली बोखला गये है ओर समझते है की हमारा विधायक की नजरो मे जनाधार गिर रहा है। फिर इन दोनों को अपनी सोची समझी रणनीति से पुनः सोसाइटी की याद आ गई ओर प्रशासन से गुहार लगाई की हम सोसाइटी के इलेक्शन करवाना चाहते है।

31 दिसंबर को इन्होने प्रशासन की देख रेख मे चुनाव करवाए। सोसाइटी मे लगभग 25 के करीब लोगो ने भाग लिया। जिसमे इसके सभी सगे रिश्तेदार थे। इस प्रकार यह पुनः सोसाइटी का प्रधान बन गया। इसने प्रधान बनते ही गिरगिट की तरह रंग बदलते हुऐ सोसाइटी का नाम प्रधान वाल्मीकि सभा रख कर कागजों के माध्यम से समाज, प्रशासन ओर सरकार को बड़ी चालाकी से मुर्ख बनाया।

25 लोगो की उपस्तिथि मे सोसाइटी का प्रधान पूरे वाल्मीकि सभा का प्रधान नहीं हो सकता। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जिलाध्यक्ष ने सलाह दी है कि वह अपनी सोसाइटी का भला सोचे ओर सोसाइटी का काम करे। कैंट वाल्मीकि सभा के प्रधान विनोद बोता ने भी इसके द्वारा समाचार पत्र मे छपवाई खबर की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि सभा धर्मशाला की प्रधान प्रवीण जॉय बड़े अच्छे ढंग से समाज का काम कर रही है।

संवाददाताः अंकित वालिया

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