शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने के लिए मूल स्थान से रवाना हुए देव कमरूनाग

संजीव कुमार। गोहर

मंडी जनपद के अराध्य माने जाने वाले बड़ा देव कमरूनाग अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने के लिए आज अपने मूल स्थान से मंडी के लिए निकल गए हैं। देव कमरूनाग की छड़ी ज्यूणी घाटी के कांडी कमरूनाग गांव के पास बने भंडार में रखी होती है। देव कमरूनाग एक सप्ताह की पैदल यात्रा के बाद 28 फरवरी को मंडी पहुंचेंगे।

यहां पहुंचने पर जिला प्रशासन की तरफ से डीसी मंडी अरिंमद चौधरी उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद देव कमरूनाग पूरे महोत्सव के दौरान टारना माता मंदिर परिसर में विराजमान रहेंगे। यहां बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शनों के लिए पहुंचते हैं और आशीवार्द प्राप्त करते हैं। देव कमरूनाग के साथ उनके गुर और अन्य कारदार पूरे बाजे-गाजे के साथ मंडी के लिए चल पड़े हैं।

देव कमरूनाग के मंडी पहुंचने के बाद शुरू होता है शिवरात्रि महोत्सव…
देव कमरूनाग जब तक मंडी नहीं पहुंचते तब तक शिवरात्रि महोत्सव का आगाज नहीं होता। हालांकि तैयारियां पहले से ही चल रही होती हैं लेकिन जब देव कमरूनाग मंडी पहुंचते हैं तो उसके बाद ही अन्य देवी-देवता मंडी पहुंचते हैं। सबसे पहले बड़ा देव कमरूनाग का छोटी काशी मंडी में आगमन होता है। देव कमरूनाग साल में सिर्फ एक बार मंडी आते हैं और इस महोत्सव में भाग लेते हैं।

आते-जाते अपने भक्तों के घरों पर रूकेंगे…
देव कमरूनाग जब भी मंडी के लिए आते हैं और महोत्सव की समाप्ति के बाद जब वापिस जाते हैं तो इस दौैरान उनका रात्रि विश्राम अपने भक्तों के घरों पर ही होता है। भक्त देव कमरूनाग को बड़े चाव से अपने घर पर आमंत्रित करते हैं और इस उपलक्ष पर घरों पर मंडयाली धाम का आयोजन किया जाता है। लगभग एक महीने की मेहमानवाजी के बाद देव कमरूनाग वापिस अपने मूल स्थान पहुंचते हैं।