गुरु के बिना ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती- स्वामी हरीशानंद

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कथूरिया निवास, जयंती विहार (कांगड़ा) में चल रही तीन दिवसीय श्री हरि कथा के तीसरे व अंतिम दिवस में उपस्थित भक्तजनों के समक्ष दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी हरिशानंद ने सुदामा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा यूं तो संसार में बहुत सारे रिश्ते हैं और जो पल प्रतिपल बदलते रहते हैं, यह सांसारिक रिश्तों का आधार केवल मात्र स्वार्थ ही है, परंतु संसार में एक ऐसा रिश्ता भी है जिसके रोम रोम में केवल मात्र प्रेम ही बसा है और वह रिश्ता होता भक्त और भगवान का, जितना भक्त भगवान को स्मरण करता है, उतना ही भगवान भी अपने प्रिय भक्तों को स्मरण करते है, ऐसा ही रिश्ता था भगवान श्री कृष्णा जी और सुदामा जी का, जगद्गुरु भगवान श्री कृष्ण जी को जब यह बात पता चली की, मेरा बचपन का मित्र सुदामा मुझे मिलने के लिए पैदल बहुत लंबी यात्रा करके मेरे पास पहुंचा है, आज भक्त सुदामा जी के पांव में जूते नहीं है और इधर द्वारकाधीश भी नंगे पांव ही सुदामा जी को मिलने के लिए दौड़ पड़ते हैं, भक्त और भगवान के इस अद्भुत मिलन का पूरी सृष्टि साक्षी बनती है।

आगे स्वामी जी ने कहा जीवन में भक्त‌ बनने के लिए सर्वप्रथम भक्ति की अवश्यकता होती है और भक्ति की प्राप्ति के लिए जीवन में परम अवश्यकता है सद्गुरु की, शास्त्र, धार्मिक ग्रंथ, ऋषि, मुनि इत्यादि सभी का एक ही कथन है। गुरु के बिना भवसागर से पार नहीं हुआ जा सकता गुरु वह सेतु है जो हमें ईश्वर मिलन में सहायक होते है। गुरु के बिना ईश्वर का मिलन संभव नही है आज हमारे समक्ष यह प्रश्न है कि शास्त्रों में किस गुरु की महिमा कही गई है? हमारे ऋषि मुनि कहते हैं जो गुरु आपको ब्रह्माज्ञान की दीक्षा देते समय ईश्वर के प्रकाश स्वरूप को आपके अंतर्घट में दिखा दें, जो प्रभु के अव्यक्त नाम को आपके स्वासो में प्रकट कर दें, ऐसे ही गुरु की वंदना धार्मिक ग्रंथो में की गई है। आगे कथा में स्वामी जी ने भक्त कुब्जा उद्धार की कथा का वर्णन किया उन्होंने बताया भगवान केवल मात्र भक्त के भावों से प्रसन्न होते हैं।

इस तीन दिवसीय श्री हरि कथा में बहुत सारे लोगों ने ब्रह्माज्ञान की जिज्ञासा प्रकट की और कथूरिया परिवार की ओर से सभी के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया। इसी अवसर पर सुखदेव, सुनील, रितिव्क, गोकुल के द्वारा सुमधुर भजनों का गुणगान किया गया। कथा में शहर के गणमान्य अतिथि ईशांत जस्वाल एसडीएम कांगड़ा, वीपी शर्मा, रिपोर्टर पंकज ओबेरॉय व अन्य भक्त उपस्थित रहे। कथा को विराम प्रभु की मंगल पुनीत आरती से दिया गया।

ब्यूरो रिपोर्ट कांगड़ा

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