जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व

उज्ज्वल हिमाचल। डेस्क
हिन्दू कैलेडर के तीसरे माह ज्येष्ठ का प्रारंभ हो गया है। आज कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत है। इस दिन भक्त व्रत रखते हुए भगवान विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं। संकष्टी चतुर्थी में चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत पूरा होता है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत कब है? चतुर्थी तिथि का प्रारंभ कब से है और चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय क्या है?

हिन्दी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 29 मई दिन शनिवार को प्रात: 06 बजकर 33 मिनट से हो रहा है। चतुर्थी तिथि का समापन 30 मई दिन रविवार को प्रात: 04 बजकर 03 मिनट पर हो रहा है। जैसा कि आपको पता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा के दर्शन का महत्व है। ऐसे में चंद्रोदय 29 मई की चतुर्थी में ही विद्यमान होगा, इसलिए एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत 29 मई दिन शनिवार को रखा जाएगा।
चन्द्रोदय मुहूर्त

एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले भक्त गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करते हैं और उनका दर्शन करते हैं। एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय रात 01 बजकर 30 मिनट पर होगा। चंद्रमा दर्शन के बाद ही गणेश चतुर्थी व्रत को पूर्ण माना जाता है। इसके बाद व्रत रखने वाला व्यक्ति पारण करके व्रत को पूरा करता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त कष्ट और पाप मिट जाते हैं। भगवान श्री गणेश जी की कृपा से जीवन में धन, सुख और समृद्धि आती है। कई लोग संतान की प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी का निर्जला व्रत रखते हैं।