उज्ज्वल हिमाचल। शिमला
वन विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश वन विभाग मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन ने तीन सूत्रीय योजना बनाई है। यह फैसला वन विभाग मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश बादल की अध्यक्षता में 8 अक्टूबर को बिलासपुर के जिला परिषद हाल में आयोजित एक जनरल हाऊस में लिया गया । इस त्रिसूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत वन विभाग में सौ से भी अधिक खाली पड़े पदों को भरने के लिए एसोसिएशन विभाग के मुखिया, सचिव वन और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाक़ात करेंगे और वन विभाग में अरसे से खाली पड़े पदों को भरने का आग्रह भी करेंगे ।
कहा- रिक्त पदों को जल्द भरने का आग्रह भी करेंगे
बैठक में वन विभाग में खाली पड़े विभिन्न वर्गों के पदों की प्रमोशन में हो रहे विलम्ब को लेकर भी गहरी चिंता जताई गयी| बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश बादल ने उपस्थित कर्मचारियों को संबोधित करते हुए बताया कि वन विभाग के कर्मचारी अगले हफ्ते वन विभाग के मुखिया राजीव कुमार से मुलाक़ात करेंगे और वन विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफ के रिक्त पदों को जल्द भरने का आग्रह भी करेंगे ।
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प्रकाश बादल ने बताया कि वन विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफ की कमी के चलते विभाग के अनेक डिवीजनों में कर्मचारियों पर भारी दबाव है जिसके चलते विभाग के मिनिस्ट्रियल कर्मचारी तनाव में कार्य कर रहे हैं । प्रकाश बादल ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कई वर्षो से वन रक्षकों के तो अनेक पद भरे गए हैं लेकिन मिनिस्ट्रीयल स्टाफ की कई वर्षो से भर्ती नहीं की गयी है, जिसके चलते विभाग में चार-चार आदमीयों के काम का बोझ एक व्यक्ति पर पड़ रहा है। प्रकाश बादल ने वन विभाग के खाली मकानों की कमी पर भी चिंता जताई और इसके लिए जल्द उच्चाधिकारियों से बातचीत करने के लिए रणनीति बनाने के लिए प्रदेश भर से आए कर्मचारियों से आग्रह किया ।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में प्रदेश भर से आए लगभग सौ से भी अधिक कर्मचारियों ने भाग लिया प्रकाश बादल के अतिरिक्त बैठक में एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण सिंह एवं संजीव कुमार, महासचिव रजनीश ठाकुर, कोषाध्यक्ष चिरंजी लाल वर्मा, उपाध्यक्ष संजीव डोगरा, रामपुर इकाई के अध्यक्ष मनोज थापर, धर्मशाला इकाई के अध्यक्ष, नारायण सिंह, कुल्लू इकाई के अध्यक्ष कृष्ण सिंह, बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष हरीश वर्मा सहित लगभग 100 से भी अधिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
कहा- रोज़गार देने के बजाए फिक्स टर्म प्रणाली से करवाया जा रहा कार्य
इस क्षेत्र में बिजली उत्पादन में लगे हज़ारों मजदूरों के लिए सरकार ने अभी तक भी किसी अलग वेतन शेडयूल की घोषणा नहीं की है जिस कारण रणनीतिक क्षेत्र में कार्यरत इन मजदूरों को कार्य के अनुसार बेहद कम वेतन मिल रहा है। इन मजदूरों को नियमित रोज़गार देने के बजाए फिक्स टर्म प्रणाली के रूप में कार्य करवाया जा रहा है। इनके नियमितीकरण के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई जा रही है। इन्हें कई स्थानों पर ईपीएफ, ईएसआई व बोनस से वंचित किया जा रहा है। इन्हें टनल अलाउंस नहीं दिया जा रहा है।
परियोजनाओं में श्रम कानूनों की पालना नहीं हो रही
इन परियोजनाओं में श्रम कानूनों की पालना नहीं हो रही है। मजदूरों के इस तरह के शोषण के खिलाफ एक राज्य स्तरीय यूनियन का गठन करना अनिवार्य हो गया था। इसलिए ही शिमला के कालीबाड़ी हॉल में राज्य अधिवेशन करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने पनबिजली परियोजनाओं के मजदूरों की मांगों का तुरन्त समाधान करने की सरकार से मांग की है। उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर मांगों का समाधान न हुआ तो आंदोलन तेज होगा।