उज्जवल हिमाचल। नूरपुर
पठानकोट-मंडी फोरलेन परियोजना के प्रथम चरण कंडवाल से सियूनी तक के लगभग 37 किलोमीटर के कार्यगत 6 साल से नहीं बन पाया है। यद्यपि इस सड़क पर फोरलेन का कार्य हाल ही में शुरू किया गया है लेकिन इस सड़क पर स्थित अनेक परिसरों को हटाए जाने का काम अभी तक अधूरा है।
यह परिसर इसलिए नहीं हटाया जा सके क्योंकि उनको दिए जाने वाला मुआवजा आंशिक रूप से ही दिया गया है। जून 2012 में इन भवनों में केवल 124 परिसरों को ही अवार्ड घोषित किया गया था। इसमें कुछ एक का मुआवजा ही दिया गया है जबकि काफी संख्या में अभी तक मुआवजा दिया जाना बाकी है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कंडवाल से नूरपुर के मध्य तक करीब लगभग 12 किलोमीटर की व्यवसायिक बेल्ट में जसूर ,बोड़, जाच्छ, राजा का बाग नागा बाड़ी पक्का टियाला, कंडवाल आदि कस्बे आते हैं, लगभग 5 परिसरों का अधिग्रहण किया गया है। अभी आधे से भी कम परिसरों को तोड़े जाने की प्रक्रिया पूरी की गई है।
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बाकी लोग मुआवजे का इंतजार में हैं । उल्लेखनीय है कि मुआवजे की राशि राष्ट्रीय सड़क प्राधिकरण द्वारा मुआवजा अधिकारी एसडीएम के माध्यम द्वारा प्रदान की जाती है। इस विषय में हिमाचल मानव अधिकार लोक समिति नूरपुर से चेयरमैन राजेश पठानिया का कहना है कि मुआवजा देने में सिर्फ अन्याय ही नहीं बल्कि दिए जाने की गति भी काफी धीमी है। उजड़ने जा रहे लोगों को यह चिंता का विषय है कि कब उन्हें मुआवजा मिलेगा।
इस राशि को प्राप्त करने के बाद उनका पुनर्वास कब तक हो पाएगा। परियोजना का आरंभ 2016 में हो गया था तथा 6 वर्ष की अवधि बीत जाने पर भी प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं मिल पाना खेद जनक है। लंबे समय से इस विषय पर सभी संगठन आवाज उठाते रहे।
गतसरकार की कारगुजारी बेहद निराशाजनक होने के कारण फोरलेन पीडितों को भाजपा सरकार को इसलि सत्ता से आउट करना पडा कि उन्होने इस मामले में देश के पीएम मोदी के फैक्टर के आदेशों का पालन नहीं किया।