लक्की शर्मा। लड़भडोल
जोगिंदर नगर उपमंडल के लड़भडोल तहसील क्षेत्र के चुला गांव के ऊहल तृतीय विद्युतीय परियोजना पावर हाउस में 16 मई शनिवार रात को एक बड़ा विस्फोटक हादसा सामने आया है। जानकारी के अनुसार रात को 11 बजे के करीब टेस्टिंग की जा राही थी, तब बिजली क़ा उत्पादन 8 मेगावाट था, यहा से बिजली हमीरपुर के मट्टन सिद्ध ग्रिड सीध भेजी जा रही थी। करीब एक घंटे बाद साढ़े 12 बजे इंजीनियरों ने लोड 8 से बढ़ाकर 16 मेगावाट करने के लिए प्रेशर बढ़ाया, तो पाॅवर हाउस से 150 मीटर की दूरी पर पैन स्टॉक में ब्लास्ट हो गया।
पानी पॉवर हाउस की दीवार को तोड़कर अंदर घुस गया। 15 इंजीनियर व कर्मचारियों ने भाग कर जान बचाई व 15 लोग अंदर फंस गए। पाॅवर हाउस पूरी तरह पानी व मिट्टी से भर गया। एक इंजीनियर ने हिम्मत दिखाकर पैन स्टॉक का वाल्ब बंद किया। इसके बाद कड़ी मशक्कत से अंदर फंसे कर्मचारियों को बाहर निकाला गया। जलभराव व मिट्टी भरने से पॉवर हाउस में करोड़ों रुपए की मशीनरी खराब हो गई है। प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रिकल विंग के अधीक्षण अभियंता अजय विक्रांत ने बताया हमारी मेहनत पर पानी फिर गया।
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15 लोगों ने बड़ी मुश्किल से जान बचाई, अगर व्हील बंद नहीं किया होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। पैन स्टॉक फेल होने की घटनाओं से हिमाचल के प्रोजेक्टों में पहले भी तबाही मच चुकी है। प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में बरती गई कोताही का मामला मौजूदा समय में एक मेगावाट क्षमता के बिजली प्रोजेक्ट के निर्माण पर 10 करोड़ रुपए खर्च आता है। इसमें भूमि अधिग्रहण, निर्माण कार्य व उपकरण शामिल रहते हैं। उस हिसाब से 100 मेगावाट प्रोजेक्ट पर 1000 करोड़ खर्च होने चाहिए थे।
13 वर्ष पहले एक मेगावाट पर 4 करोड़ खर्च आता था, लेकिन इस परियोजना के निर्माण पर 1645 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है। इस प्रोजेक्ट का सपना ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी ने 1927 में देखा था। सबसे पहले उनकी देखरेख में बरोट से ऊहल नदी का पानी जोगेंद्रनगर के शानन पहुंचा, शानन प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया था।