चंडी माता मंदिर पर अधिग्रहण के विरोध की आग पहुंची पंजाब

अखिलेश बंसल। बरनाला

हरियाणा सरकार द्वारा पंचकूला स्थित चंडी माता मंदिर को अधिग्रहण करने के विरोध में पंजाब के दो बड़े समुदाओं ने भी बिगुल बजा दिया है, जिनमें शामिल जूना अखाड़ा के साधू समाज एवं पंजाब के ब्राह्मण समुदाय ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को हर संभव साथ देने का ऐलान किया है। पंजाब के दोनों समुदाओं ने हरियाणा सहित सभी प्रदेश सरकारों को चेतावनी दी है कि यदि हिंदु मंदिरों को अधिग्रहण करने की योजनाओं को लगाम नहीं कसी तो बहुत बुरे नतीजे निकलेंगे।

पंजाब के जूना अखाड़ा से संबंधित खंडेबाद के महंत राजगिरीजी महाराज और मालवा प्रांतीय ब्राह्मण सभा पंजाब के अध्यक्ष एडवोकेट करन अवतार कपिल ने कहा है कि अवधूत आश्रम पिहोवा रोड कुरूक्षेत्र में षड्दर्शन साधु समाज हरियाणा के तत्वावधान में अखाड़ा परिषद तथा भारत साधु समाज हरियाणा के पदाधिकारियों ने जो षड्दर्शन साधु हरियाणा के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वरजी महाराज की अध्यक्षता में बैठक की है। उनके द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव के पक्ष में हैं।

बैठक द्वारा चण्डी माता मंदिर पंचकूला के अधिग्रहण का जो विरोध शुरु किया है। पंजाब के जूना अखाड़ा का साधू समाज और ब्राह्मण समुदाय उनके इशारे का इंतजार करेगा। महंत राजगिरीजी महाराज और मालवा प्रांतीय ब्राह्मण सभा पंजाब के अध्यक्ष एडवोकेट कपिल ने कहा है कि भले ही चण्डी माता मंदिर पंचकूला के अधिग्रहण का केस माननीय उच्च-न्यायालय चंडीगढ़ में विचाराधीन है, लेकिन अदालत के निर्णय से पहले हरियाणा सरकार के अधिकारियों को इस पर विचार करना चाहिए था। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार कार्य किया जाना चाहिए था।

संविधान में शामिल है साधुओं के मौलिक अधिकार
महंत राजगिरी और एडवोकेट करन अवतार ने कहा है कि संविधान में प्राचीन परम्पराओं का रख-रखाव करने का सबको मौलिक अधिकार दिया गया है, तो फिर हिंदु धर्म के पर कुठाराघात करना गैर-संविधानिक होगा। प्राचीनकाल से ही सभी संप्रदायों के आचार्यों की प्रथा अपने-अपने ढंग से है। हर किसी संप्रदाय को अपनी-अपनी पूजा पद्धति अपने तरीके से करने का अधिकार है, तो हिंदु साधुओं व ब्राह्मणों को इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

उन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा मंदिर पर अधिग्रहण करने की कार्रवाई की निंदा करते हुए साधु समाज हरियाणा और अखाड़ा परिषद को सहयोग देते हरियाणा सरकार को चेताया है कि ब्राहमण व साधु समाज की विभिन्न परंपराओं की रक्षा करना सरकारों की जिम्मेदारी होती है।

अस्हाय नहीं है साधू समाज
महंत राजगिरीजी महाराज ने जूना अखाड़ा के साधू समाज एवं एडवोकेट करन अवतार कपिल ने पंजाब के ब्राह्मण समाज की ओर से प्रदर्शन साधु समाज हरियाणा के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वरजी महाराज, भारत साधु समाज हरियाणा के अध्यक्ष महंत बंसीपुरीजी महाराज, षड्दर्शन साधु समाज के महासचिव महंत ईश्वर दास जी, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के स्वामी उत्तम गिरिजी महाराज, जूना अखाड़ा प्रवक्ता महन्त दीपक गिरिजी, उदासीन पंचायती अखाड़ा महेश मुनि जी महाराज, पंचायती निर्मल अखाड़ा, बुध सिंह जी महाराज, निर्मोही अखाड़ा से महंत बबला दास जी महाराज, पंच दशमी जूना अखाड़ा महंत ग्वाला पुरी जी महाराज, मां बनभौरी शक्ति पीठ धाम के महाप्रबंधक सुरेंद्र कौशिक, उपाध्यक्ष वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक, महन्त स्वामी वासुदेवानंद जी, महन्त अरविंद दास, कबीर पंथी से सुनील दासजी महाराज, महंत तरण दासजी, अनूप गिरिजी, रोशन पुरीजी और संत समाज के विभिन्न संगठनों को अस्हाय नहीं समझने को कहा है। उन्होंने कहा कि अगर साधु समाज और भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचता है, तो पूरा साधु एवं ब्राह्मण समाज खड़ा हो जाएगा।

पीएम की विचारधारा को कर रहे नजरंदाज
गौरतलब हो कि देश के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति को जागृत किया जा रहा है और यहां मंदिरों का अधिग्रहण और धार्मिक स्थलों का अतिक्रमण किया जा रहा है। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में कई समुदायों को लाभ पहुंचाया जा रहा है और सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को संकुचित किया जा रहा है। पूरा साधु समाज भारतीय संस्कृति और सिद्धांतों का समर्थक रहा है और प्राचीन काल से इसके लिए संघर्ष कर रहा है।

दूरसंचार से भी सरकार को अवगत करवा चुके है संत
अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरि गिरिजी महाराज ने दूरसंचार के माध्यम से हरियाणा सरकार को अवगत करवाया है कि जो संत समाज के मठ मन्दिर आश्रम है। सभी साधू समाज की विभिन्न संप्रदायों से संबंधित प्राचीन परंपराएं हैं। बैरागी सन्यासी, उदासी, निर्मले, नागे, कबीर पंथी और भी बहुत से संप्रदाएं हमारे देश में पूर्वकाल से विद्यमान है।

हमारे यहां मुस्लिम साम्राज्य से लेकर अंग्रेजों तक अक्षुण्य रहे। समय-समय पर बेशक कुठाराघात होता रहा, परंतु फिर भी यह यथावत् रहे। परंतु देश की आजादी के बाद इनको बहुत से क्षति उठानी पड़ी फिर भी ये येनकेन प्रकारेण अपना धर्म का प्रचार-प्रसार करते रहे। अगर मठ, मंदिर और आश्रमों को इसी तरह से सरकारें अधिग्रहण करती रही या इसी तरह अधिग्रहित होते रहे, तो हमारी प्राचीन परंपराएं नष्ट हो जाएगी।