सरकार ने SIT काे दिया 10 दिन का समय

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

हाथरस कांड के लिए गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित एसआइटी बुधवार को अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपने वाली थी, लेकिन जांच अभी पूरी न होने के कारण एसआइटी और वक्त दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि एसआइटी ने पुलिसकर्मियों समेत करीब 100 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। कई अन्य पुलिसकर्मियों की लापरवाही भी सामने आई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को हाथरस की घटना की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) को अपनी रिपोर्ट देने के लिए और 10 दिनों तक समय दिया है।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि हाथरस मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर एसआइटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए और वक्त दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 30 सितंबर को गृह सचिव की अध्यक्षता में एसआइटी गठित की गई थी। एसआइटी को सात दिनों में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी थी। एसआइटी में डीआइजी चंद्र प्रकाश व एसपी पूनम बतौर सदस्य शामिल हैं। एसआइटी ने हाथरस में युवती के परिवार से मुलाकत करने के साथ ही कई बिंदुओं पर सिलसिलेवार जांच की है। सरकार हाथरस कांड की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश भी कर चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथका ने तीन सदस्यीय एसआइटी गठित कर पूरे प्रकरण के हर पहलू की पड़ताल कर सात दिनों में रिपोर्ट तलब की थी। सीएम योगी ने कहा था कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी। सरकार ने अनुसूचति जाति की युवती के साथ हुई घटना की जांच के लिए गठित एसआइटी में इसी जाति के दो अधकारियों को भी शामिल किया है। 2004 बैच के आइपीएस अधिकारी चंद्र प्रकाश- द्वितीय तथा 2018 बैच की आइपीएस अधिकारी पूनम अनुसूचित जाति की हैं। पूनम वर्तमान में पीएसी आगरा में कमांडेंट के पद पर तैनात हैं। एसआइटी अध्यक्ष आइजी भगवान स्वरूप साफ-सुथरी छवि के पुलिस अधिकारी हैं और वह लंबे समय से सचिव गृह के पद पर कार्यरत हैं।

हाथरस जिला के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती से चार लड़कों ने कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की। युवती को पहले जिला अस्पताल और फिर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया, लेकिन तबीयत में सुधार न होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया था, जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई। इस पूरे मामले में उस वक्त हंगामा मच गया, जब पुलिस ने आननफानन रात में युवती का अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों में आक्रोश देखने को मिला।