हारने के बाद के सरकार काे महंगाई की याद आई, पेंशन की नहीं : महासंघ

विनय महाजन। नूरपुर

हिमाचल प्रदेश न्यू पेंशन योजना के अध्यक्ष व रिटायर्ड अधिकारी व मुलाजिम महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजीव गुलेरीया ने शनिवार काे पत्रकारों के साथ भेंटवार्ता में कहा कि लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों पर सत्तारूढ़ दल भाजपा को चारों खाने चित करने के बाद भाजपा सरकार को महंगाई की त्राहि-त्राहि याद आई, तब उपचुनाव में पेट्रोल-डीजल के रेटों में गिरावट लाने की याद केंद्र सरकार को आ गई, परंतु पैंशन वाले मुद्दे पर केंद्र व राज्य की सरकारें गुंगी क्यों? 2024 के लोकसभा चुनाव में पेंशनर मोदी सरकार का सफाया कर देंगे अगर सरकार ने गौर नहीं किया।

विधायक व सासंदों की पैंनशन बंद करवाने हेतु पैंशनर भी कोई कदम ऐसे मुलाजिमों के हित में उठा सकते हैं। प्रदेश के 11 लाख पढ़े-लिखे रोजगार से वंचित युवा, एक लाख 20 हजार पुरानी पेंशन से वंचित पेंशन विहीन कर्मचारी व अधिकारी, अनुबंध आउटसोर्सिंग से ग्रसित कर्मचारी करुणामूलक मां-बाप की मृत्यु उपरांत नोकरी को तरसते बच्चों की बद्दुआ और बढ़ती महंगाई मुख्य बिंदु रही है। इन उपचुनावों में डॉ संजीव गुलेरीया ने कहा कि आजाद उम्मीदवार डॉ. राजन सुशांत जो कि हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी के संस्थापक भी हैं।

उन्हें फतेहपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र से पिछले चुनाव में छह हजार से ज्यादा वोट प्राप्त हुए थे, जो कि उन का अपना आधार वोट बैंक है, लेकिन इस बार पेंशन विहीन कर्मचारियों के और बेरोजगार युवाओं के मौलिक अधिकारों और स्थानीय जनता के मुद्दों की लड़ाई लड़ने के कारण उन्हें तकरीबन आधे से ज्यादा वोट 13 हजार वोट लगभग सात हजार ज्यादा वोट जनता ने दिए। जनता से और युवाओं को आह्वान करता हूं कि 2022 विधानसभा चुनाव में मोजूदा विधायक की कारगुजारियों का तुलनात्मक विश्लेषण करने के पश्चात सही व्यक्ति को विधायक चुनेंगे।

डॉ गुलेरीया ने कहा कि मंडी लोकसभा चुनाव क्षेत्र में हमारे पेंशन विहीन एनपीएस कर्मचारियों अधिकारियों और जनता ने साफ-साफ कांग्रेस को भी सीधा संदेश दिया है कि पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना सरकार का नैतिक कर्तव्य है। याद रहे नोटा के वोट कांग्रेस की जीत से भी ज्यादा पड़े हैं। डॉ संजीव गुलेरीया ने कहा कि अगर कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस के न‌ए चुने विधायकों और सांसद ने पुरानी पेंशन बहाल न करवाई तो पेंशन विहीन कर्मचारी, अधिकारी 2022 विधानसभा चुनाव में स्वयं चुनावी रणभूमि में उतरेंगे और नया इतिहास रचेंगे। 2022 चुनावों से पहले जो भी विधायक रहे हैं, उन की पुरानी पेंशन एकमत ध्वनिमत से समाप्त करेंगे।