किसानों के कृषि लोन भी माफ करें सरकार : खूब राम

संजीव कुमार। गोहर

भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिलाध्यक्ष खूब राम नेगी ने कहा कि जयराम सरकार, सरकार की अन्य लेनदारियों की तर्जपर किसानों के कृषि कर्ज भी माफ करें, ताकि सरकार से अन्य वर्गों की भांति मिलने वाले लाभ किसान भी उठा सके। उन्होंने कहा कोरोनाकाल के दौरान जारी लॉकडाउन की वजह से निजी बस व टैक्सी ऑपरेटरों के लंबित विभिन्न टैक्सों को माफ करने के लिए सरकार की घोषणा स्वागत योग्य है, लेकिन उसी दौर में महामारी के साथ साथ प्रदेश के किसान अपनी फसलों से जहां सूखे व ओलावारी के कारण हुए नुकसान की चपेट में आने से नहीं बच पाए हैं, जिससे उन पर दोहरी मार पड़ने पर अन्नदाताओं को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है।

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उसी प्रकार व्यापारी वर्ग भी बड़ा हताश है। उन पर कर्जों का बोझ इस कदर बढ़ता जा रहा है, जो व्यापारी दूसरों को रोजगार देता था, आज वह घर परिवार चलाने के लिए वेवश है। सरकार की मदद की दरकार में पीसा जा रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार प्रदेश के किसानों को चुनाव के दौरान मात्र वोटों का जरिया न समझे। क्योंकि देश व प्रदेश में सरकार बनाने के लिए एक ओर जहां कर्मचारियों की बड़ी भूमिका रहती है। उससे कहीं अधिक किसानों और व्यापारियों का भी बहुत बड़ा योगदान रहता है, लेकिन खेद है कि चुनावी सीजन में पार्टियां किसानों को रिझाने के लिए आमतौर पर कर्जमाफी का वादा करती हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसान हाथ मलता रह जाता है।

किसानों की बदहाली की तस्वीर ज्यों की त्यों रहती है। सरकार किसानों को मंहगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकटों के मंझदार में छोड़कर दरकिनार करती आ रही है। खूब राम ने कहा कि सरकार को समझ लेना चाहिए कि अब किसान मिट्टी से अनाज पैदा करने के साथ-साथ आसपास की घटनाओं पर भी नजरें रखे हुए हैं। किसानों की आर्थिक परेशानी को देखते हुए कई राज्यों में ऋण माफी योजना चलाई जा रही हैं। देश के दस राज्यों ने किसानों के कृषि कर्ज को माफ करने के लिए विशेष महत्व दे रही है। हाल ही पंजाब की मौजूदा सरकार ने ऐसे लाखों किसानों के 2 लाख रुपए तक के कृषि ऋण माफ करने का एलान किया है।

क्या केंद्र व प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकारें किसानों की बिगड़ती जा रही आर्थिक दशा को सुधारने के लिए कदम नहीं उठा सकती है। आज दिन प्रतिदिन प्रदेश के किसानों हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नौबत यह बनती जा रही है कि किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता। किसान किसी तरह अनाज उपजा लेता है, तो बाजार में मिले भाव से उसकी जरूरत भी पूरी नहीं हो पाती। ऐसे में बैंक को समय पर पैसा नहीं लौटा पा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों, बागवानों और व्यापारिक कारोबारियों को ऐसे ही नजरअंदाज करती रही, तो किसान सड़कों पर उतरने से गुरेज नहीं करेंगे।