पेट्रोलियम पदार्थों के टैक्स में कटौती करके जनता को राहत दे सरकार: राणा

उज्जवल हिमाचल । हमीरपुर
पेट्रोल डीजल की आसमान छूती कीमतों को कम करने के लिए इन-डायरेक्ट टैक्स में सरकार कटौती करके जनता को राहत दे। यह बात कांग्रेस राज्य उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही है। उन्होंने कहा कि महंगाई महामारी और बेरोजगारी से जूझ रही देश की जनता की आर्थिकी पर पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ी कीमतों के कारण खराब असर हो रहा है क्योंकि पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों का असर आम आदमी के चूल्हे-चौके को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। राणा ने कहा कि इस समय रिटेल कीमत में 60 फीसदी हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार वसूल रही है, जबकि डीजल की कीमतों में 53 फीसदी टैक्स का हिस्सा वसूला जा रहा है। पेट्रोल की कीमत का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एक्साइज व राज्य सरकार द्वारा वसूले जाने वाले वैट का है। पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों में तेजी के कारण महंगाई की दर पर खराब असर हो रहा है।
ट्रांसपोटेशन कॉस्ट लगातार बढ़ रही है जिस कारण से महंगाई का खराब असर हर सेक्टर को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश के चार राज्यों में सरकारों ने वैट व दूसरे टैक्स में कटौती की है। पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मेघालय और असम की राज्य सरकारों में डीजल-पेट्रोल के वैट में कटौती की घोषणा की है। राजस्थान सरकार ने वैट की दर को 2 फीसदी तक घटाया है। पश्चिम बंगाल की सरकार ने भी पेट्रोल डीजल के रेट में 1 रुपए की कटौती की है, जबकि असम सरकार ने भी कोविड के चलते लगने वाला 5 रुपए का टैक्स हटाया है। पेट्रोल डीजल की कीमतों में सबसे ज्यादा कटौती मेघालय में हुई है। मेघालय में पेट्रोल पर 7.40 रुपए व डीजल पर 7.10 रुपए की कटौती की है। इसके अलावा सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर 2 फीसदी वैट भी कम किया है। राणा ने कहा कि और कुछ नहीं तो कम से कम इसी तर्ज पर केंद्र राज्य सरकारों को टैक्स की कटौती करने के निर्देश दे, ताकि आम आदमी को राहत मिल सके। राणा ने कहा कि सरकार सत्ता में बने रहने के लिए खुद तो हर कुछ कर रही है। इस मामले में न देश की आर्थिक कंगाली आड़े आती है और न ही महामारी व बेरोजगारी आड़े आती है लेकिन जब आम आदमी की बात आती है तो सरकार न जाने क्यों आर्थिक कंगाली का रोना रोती है। उन्होंने कहा कि अमीरों की पैरोकार इस सरकार में अमीर निरंतर अमीर हो रहा है और गरीब निरंतर गरीब हो रहा है जोकि देश का दुर्भाग्य है।