धूमधाम से मनाया गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। साेलन

सिक्खों के प्रथम गुरू, गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस पवित्र दिन को सिक्ख धर्म के अनुयायी गुरू प्रकाश पर्व के रूप में मनाते है। सिक्खों के पहले गुरू, गुरु नानक देवजी का 551वां प्रकाश पर्व सोलन में भी धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सोलन के सभी गुरुद्वारों में सुबह से संगतों का तांता लगा हुआ है। विभिन्न रांगी जत्थे गुरुवाणी कीर्तन से संगतों को निहाल कर रहे हैं। कोविड को देखते हुए इस बार गुरुनानक देव का पर्व सुक्ष्म रूप से आयोजित किया गया।

गुरुनानक देव जी ने आपसी भाई चारे मेल जोल का संदेश दिया है। उन्हीं के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक वर्ष सिक्ख समुदाय के लोग गुरुनानक देवजी की जंयती मनाते है। इसमें सभी धर्म समुदाय के लोग बिना किसी रोक-टोक के गुरुवाणी सुनकर निहाल होते हैं। सिक्ख समुदाय को इस पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य सभी लोगों को गुरु नानक देवजी की शिक्षाओं बारे जानकारी देना है। गुरूनानक देव ने समरसता का पाठ पढ़ाया था। सभी एक है कोई छोटा-बड़ा, ऊचा- नीवां नहीं है।

इस दौरान सोलन स्थित सपरून गुरुद्वारे में माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना रहा व संगतों ने गुरु का लंगर भी ग्रहण किया। बात करते हुए गुरुद्वारा सिंह सभा सपरून के प्रधान मन मोहिंद्र सिंह ने बताया कि गुरुपर्व को सोलन स्थित सपरून गुरुद्वारे में कोरोना के चलते सुक्ष्म रूप में आयोजित किया गया। सीमित भगतों ने गुरु नानक देव के समक्ष मत्था टेका व गुरुवाणी सुनकर लंगर ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि गुरुनानक देवजी का 20 रूपए का लंगर अटूट बरसता रहेगा।