सफेदे के पेड़ पर चली कुल्हाड़ी

वन विभाग ने लकड़ी को कब्जे में लेकर जांच की शुरू

एसके शर्मा। हमीरपुर

उपमंडल बड़सर के तहत आने वाले राजकीय प्राथमिक पाठशाला कच्छवीं के साथ लगती भूमि में एक बड़े सफेदे के पेड़ को काटने का मामला सामने आया है। इस मामले का पत्ता तब चला, जब स्कूल के मुख्याध्यापक 25 सिंतबर को स्कूल पहुंचे थे। उन्होंने स्कूल के साथ लगती भूमि पर से एक बड़े सफेदें के पेड़ को कटा हुआ पाया। स्कूल के मुख्याध्यापक ने इस मामले के बारे में उच्चाधिकारियों कसे अवगत करवाया गया। इसके बाद वन विभाग ने कार्रवाही करते हुए काटे हुए सफेदे की लकड़ी को कब्जे में ले लिया है, लेकिन अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि ये भूमि शामलात है या फर स्कूल के नाम है।

यह तो निशानदेही के वाद ही पत्ता चलेगा। अब स्कूल के मुख्याध्यापक के विरूद्ध ही स्कूल को भूमि दान करने वाले व्यक्ति के पोते ने उल्टा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवा दी है। शिकायतकर्ता लोक निर्माण विभाग में अधिकारी के पद पर कार्यरत है। उसने शिकायत में कहा है कि मुख्याध्यापक लगभग दस वर्षों से एक ही स्कूल में हैं। वहीं, स्कूल के मुख्याध्यापक ने कहा कि इसी व्यक्ति के दादा ने ही स्कूल के नाम भूमि दान की थी। उन्होंने कहा कि यह लोक निर्माण विभाग में अधिकारी के पद है। यह अधिकारी यहां नहीं रहता है, लेकिन अब उसने दादा की ओर से स्कूल को दान की गई भूमि पर हक जताना शुरू कर दिया है, जबकि 2010 में ही 3-4 कनाल भूमि उनके पूर्वजों ने स्कूल के नाम दान कर दी थी और सोहारी हल्का पटवारी को भेज दी थी।

वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिकारी एवं शिकायतकर्ता ने कहा कि स्कूल के साथ ही हमारी भूमि लगती है। उन्होंने कहा कि हमें बेवजह ही तंग किया जा रहा है। उधर, आरओ बिझड़ी अंकुश ठाकुर ने बताया कि इस संदर्भ में कार्रवाही अमल में लाई जा रही है और यह क्षेत्र रिजर्व पूल में आता है। अगर रिजर्व पूल से पेड़ काटे जाते हैं, तो नियमानुसार कार्रवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि कच्छवीं स्कूल के पास पेड़ काटने की शिकायत मिली थी व विभाग ने मौके पर जाकर लकड़ी को कब्जे में ले लिया है। उन्होंने कहा कि निशानदेही के वाद ही पत्ता चल पाएगा कि भूमि शामलात है की सरकारी है।