हिमाचलः लाल सोने के बाद सफेद सोने ने मालामाल किए किसान

हिमाचलः लाल सोने के बाद सफेद सोने ने मालामाल किए किसान

उज्जवल हिमाचल। सिरमौर
प्रदेश में लहसुन के नंबर वन उत्पादक सिरमौर ज़िला के सफेद सोने ने देश भर में अपनी पहचान बना ली है। एक ओर जहां इस बार किसानों के लाल सोना कहलाने वाले टमाटर ने किसानों को मालामाल किया है, तो वहीं लहसुन भी कुबेर का खजाना साबित हुआ है।

सिरमौर ने इस बार 60 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक लहसुन का उत्पादन किया है, जिसकी कीमत करीब 700 करोड़ से अधिक पार की गई है। बड़ी बात तो यह है कि सिरमौर के लहसुन की सबसे ज्यादा डिमांड चेन्नई व तमिलनाडु में है। इस बार लहसुन की बेहतर पैदावार के लिए एग्री फाउंड पार्वती नाम की किस्म वरदान साबित हुई है, जबकि जम्मू से लाया जाने वाला गैर परिष्कृत बीज कोई खास दमदार साबित नहीं हुआ है।

एग्री फाउंड पार्वती नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डिवेलपमेंट फाउंडेशन के माध्यम से इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च द्वारा उच्च गुणवत्ता के साथ तैयार किया जाता है। अब यह जानना बहुत जरूरी है कि आईसीआर केवल सीड ही तैयार करती है।

यह भी पढ़ें: हिमाचलः क्लास थ्री की भर्तियों की रिपोर्ट की जांच के लिए करना होगा दो महीने ओर इतंजार


इस किस्म के सीड से उगाए गए लहसुन का साइज बड़ा होने के साथ काफी भरा और गुणवत्ता से भरपूर होता है। वहीं ब्लैक गार्लिक तैयार करने वाले उद्योगपतियों की ज्यादा डिमांड इसी लहसुन की होती है। इस समय ब्लैक गार्लिक का रेट भी 750 से लेकर 2000 रुपए प्रति किलो तक हो गया है, मगर सिरमौर में यहां के लहसुन से कोई भी ब्लैक गार्लिक प्रोसेस नहीं करता है।

जिला के 4000 हेक्टेयर एरिया में लहसुन का उत्पादन किया जाता है। जिला उपनिदेशक कृषि विभाग राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि इस बार 60 हजार मीट्रिक टन से अधिक पैदावार हुई है। वहीं कृषि प्रसार अधिकारी रणवीर सिंह का कहना है कि एग्री फाउंड पार्वती बीज वरदान साबित हुआ है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि आईसीआर द्वारा प्रमाणित बीज को ही इस्तेमाल करें।

ब्यूरो रिपोर्ट सिरमौर

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें।