हिमाचल में सेब सीजन पर मंज़दूरों की कमी का संकट

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

हिमाचल में पर्यटन इंडस्ट्री के बाद कारोना काल के चलते सेब इंडस्ट्री पर भी संकट के बदल मंडरा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सेब को आर्थिकी 4500 करोड़ की है। सेब आर्थिकी को पार लगाने के लिए नेपाली मज़दूर का अहम योगदान रहता है। करीब 2 लाख नेपाली मज़दूर सेब सीजन में तुड़ान, ढुलाई से लेकर सेब को मंडियों तक पहुंचाने का काम करते है, लेकिन अब हिमाचल से आधे से ज़्यादा मज़दूर वापस लौट चुके हैं। ऐसे में बागवान परेशान है कि उनकी फ़सल को मंडियों तक कैसे पहुंचाया जाएगा।

शिमला जिला में सबसे ज़्यादा 70 फ़ीसदी नेपाली मज़दूर सेब का काम करते हैं। हर वर्ष लगभग सीजन में 90 हज़ार मज़दूरों की जरूरत पड़ती है। इनमें से 50 हज़ार मज़दूर शिमला से वापस जा चुके हैं। सिर्फ 40 हज़ार के करीब मज़दूर हैं, उनमें से अधिकतर अब यहीं के बाशिंदे बन गए हैं। बाकी लेबर
अभी पहुंची नहीं है। 15 जुलाई के बाद सेब सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में सेब बाग़बानों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह कहना है कि प्रदेश में सबसे ज़्यादा नेपाली मज़दूर शिमला में आते हैं। हांलाकि लॉकडाउन में मज़दूर वापस लौट गए हैं। बाबजूद इसके नेपाल के साथ लगते क्षेत्रों से मज़दूर मंगवाने के लिए संबंधित डीसी से संपर्क किया जा रहा है। इस मर्तबा सेब की फसल पिछले वर्ष के मुक़ाबले कम है। इसलिए मज़दूरों की भी कम ज़रूरत पड़ेगी। उम्मीद यही है कि सेब सीजन सुचारू रूप से पूरा होगा और बागबानों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।