देश के सात राज्यों के 100 से अधिक कलाकारों ने “नशा नहीं- जिंदगी चुने” का दिया संदेश

सुरेंद्र जम्बाल। बिलासपुर

देश की विभिन्न संस्कृतियों को एक मंच पर प्रस्तुत करने व युवाओं को नशे से दूर रखने के मकसद से बिलासपुर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें 07 राज्यों के 100 से अधिक लोक कलाकारों ने भाग लिया. राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा संचालित अभियान “नशा नहीं- जिंदगी चुने” के अंतर्गत सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के माध्यम से उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर के ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें असम का व्यूह और भोरताल, उत्तर प्रदेश का बरसाना की होली, मयूर डांस, राजस्थान का कालबेलिया, हरियाणा का घूमर और कोरिया, पंजाब का भांगड़ा, जिंदूआ और झूमर व गुजरात का सिद्धि धमाल सहित बिलासपुर का कहलुरी नृत्य सहित विभिन्न लोक गीतों की रंग बिरंगी प्रस्तुतियां दी गयी. इसके साथ ही पंजाबी सूफी गायक मोहम्मद इरशाद द्वारा पंजाबी व देशभक्ति गीतमाला के साथ बिलासपुर के लोक कलाकारों द्वारा धाजा शैली में लघु नाटिका मुख्य आकर्षण का केंद्र रही. वहीं इस सांस्कृतिक संध्या में एसडीएम बिलासपुर रामेश्वर दास व नगर परिषद अध्यक्ष कमलेन्द्र कश्यप मौजूद रहे. वहीं कार्यक्रम के दौरान बिलासपुर के लोगों ने विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति के नजदीक से दर्शन किये और युवाओं को नशे से दूर रखने की शपथ भी ली.

वहीं एनजेडसीसी पटियाला के कार्यक्रम अधिकारी रविन्द्र शर्मा ने कहा सिंधु दर्शन फेस्टिवल के तहत सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन किया गया है जो कि कोविड के चलते बीते दो वर्षों से सिंधु फेस्टिवल का आयोजन नहीं हो पाया मगर इस बार इसे धूमधाम से मनाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक यात्रा हुसैनीवाला से शुरू होती थी मगर इस बार यह यात्रा जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से शुरू की है और यह यात्रा आगे बढ़ती हुई द्रास में भारतीय सेना के शहीदों के लिए यह कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसके बाद कारगिल में बोध खारबू में कार्यक्रम आयोजन के बाद सांस्कृतिक यात्रा लेह में पहुंची जहां देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने अपनी अपनी सांस्कृतिक की झलक दिखाई, उसके बाद यह यात्रा हिमाचल प्रदेश में प्रवेश होती हुई किलोंग, मनाली और अंत में बिलासपुर में इस यात्रा का समापन हुआ है.

रविन्द्र शर्मा ने कहा कि इस सांस्कृतिक यात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशे स दूर रखना और देश की जनता को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ना है ताकि युवा पीढ़ी को एक मंच के जरिये देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति से रूबरू करवाकर लोक संस्कृति को जिंदा रखना है ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति अपने लोक नृत्यों व गीतों को ना भूल जाएं. वहीं विभिन्न राज्यों से आये लोक कलाकारों ने भी बिलासपुर आने पर खुशी जाहिर करते हुए आगे भी इस तरह कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर अपनी संस्कृति को देश के कोने कोने में पहुंचाने की बात कही है.