सिर पर नहीं था मां-बाप का साया, संजय पराशर ने दी रोजगार की छाया

-पराशर की कंपनी वीआर मेरीटाइम में सबसे ज्यादा हिमाचली नाविक

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने सही मायनों में जसवां-परागपुर क्षेत्र को मर्चेंट नेवी का हब बना दिया है। इस क्षेत्र के डाडासीबा में प्रदेश भर से मर्चेंट नेवी में रोजगार प्राप्त करने के लिए युवा पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि कोरोनाकाल के बाद पराशर हर वर्ष पांच सौ युवाओं को जहाज पर नौकरी प्रदान कर रहे हैं। यही कारण है कि संजय की कंपनी वीआर मेरीटाइम में सबसे ज्यादा हिमाचली नाविक हैं।

इससे भी बड़ी बात यह है कि पराशर उन युवाओं को भी मर्चेंट नेवी में नौकरी दे रहे हैं, जिनके सिर पर मां-बाप का साया नहीं है। इसके साथ ही युवतियां भी इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करें, इसके लिए संजय सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं। मर्चेंट नेवी और कंपनी के विभिन्न कार्यालयों में संजय अब तक तेरह सौ से ज्यादा युवाओं को नौकरी की दहलीज तक पहुंचा चुके हैं।

दरअसल संजय के विजन में रोजगार एक प्रमुख मुद्दा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी कंपनी के तीन कार्यालय प्रदेश में खोले और उसके बाद से निरंतर नौकरियां देने का सिलसिला शुरू किया, जोकि आज तक जारी है। संजय ने उन युवाओं को भी नौकरी दी, जोकि एजेंटगिरी में लाखों रूपए गंवा चुके थे। ताजा कड़ी में मूंही पंचायत के शुभम को संजय अगले कुछ दिनोें में जहाज पर भेजने जा रहे हैं। इस युवक से मर्चेंट नेवी के नाम पर दिल्ली में तीन लाख रूपए की धोखाधड़ी हुई थी।

इस युवक की मां आशा देवी ने बताया कि पराशर के मुंबई स्थित कार्यालय में बेटे ने साक्षात्कार दे दिया है और शीघ्र ही उसे रोजगार मिलने वाला है। दो युवाओं को संजय शीघ्र ही राेजगार देने जा रहे हैं, जिनके माता-पिता की असमय मौत हो गई थी। बणी के विशाल ठाकुर और घमरूर की सिमरन चौधरी को नौकरी स्पांसरशिप दे दी गई है। सिमरन बताती हैं कि उसने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी समुद्री जहाज पर जाकर नौकरी करेंगी।

माता-पिता के गुजरने के बाद मामा के पास रहती थीं, लेकिन संजय पराशर ने उसका भविष्य बनाने के लिए बकायदा ट्रेनिंग दिलवाई और उसने आइएमयू (इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी) का टेस्ट उतीर्ण किया। सिमरन कहती हैं कि संजय ने उसके लिए जाे किया है, उसके लिए वह पराशर की ताउम्र आभारी रहेगी। ऐसा ही अनुभव बणी के विशाल ठाकुर का है। ठाकुर के चाचा सुधीर सिंह बताते हैं कि भाई और भाभी की मौत के बाद विशाल अकेला रह गया था। उन्होंने जैसे तैसे उसे पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा।

फिर एक दिन संजय किसी देवदूत की भांति आए और मर्चेंट नेवी के लिए उसका चयन कर लिया। अब कोर्स पूरा होने के बाद विशाल जहाज पर जाने वाला है। वहीं, जवाली के कठोली गांव की गुरमीत कौर ने भी आइएमयू का टेस्ट उतीर्ण किया था। उसके बाद किसी परिचित द्वारा संपर्क करवानेे के बाद संजय ने इस बेटी को भी नौकरी की स्पांसरशिप प्रदान कर दी है।

संजय पराशर का कहना था कि उनकी कंपनी में हर वर्ष पांच सौ से ज्यादा मर्चेंट नेवी में भर्ती होती है। उनका प्रयास है कि इस भर्ती में अधिकतम हिमाचली युवाओं को ही शामिल किया जाए। कहा कि क्षेत्र के युवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करियर बनाएं, इसके लिए प्रतिष्ठित कंपिनयो को जसवां-परागपुर क्षेत्र में कार्यालय खोलने के लिए वह व्यक्तिगत तौर पर प्रयास कर रहे हैं।