हिमाचलः किसान संघर्ष समिति ने सेब दामों के लेकर एपीएमसी कानून पर उठाए सवाल

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। शिमला

प्रदेश किसान संघर्ष समिति सेब के दामों में आई भारी गिरावट व किसानों का मंडियों में हो रहे ए पी एम सी कानून की खुली अवहेलना से किसानों के शोषण पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है तथा सरकार से मांग करती है कि सेब से लिये प्रदेश में मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) को पूर्ण रूप से लागू कर कश्मीर की तर्ज़ पर। A ग्रेड के सेब के लिए 60 रुपये B ग्रेड के सेब के लिए 44 रुपये व C ग्रेड के सेब के लिए 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एचपीएमसी, हिम्फेड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद की जाए।

सरकार प्रदेश में ए पी एम सी कमेटीयों की लचर कार्यप्रणाली के कारण मंडियों में ए पी एम सी कानून की खुली अवहेलना पर रोक लगाए। कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू कर मण्डियों में खुली बोली लगाई जाए। मण्डियों में जिनके पास लाइसेंस व परमिट है उन्हें ही कारोबार की इजाज़त दी जाए तथा किसानों को जिस दिन उनका उत्पाद की बिक्री हो उसी दिन खरीददार व आढ़ती द्वारा भुगतान के प्रावधान को सख्ती से लागू करे। सरकार क़ानून की अवहेलना करने वालो के विरुद्ध सख्ती से कानूनी कार्यवाही कर किसानों को मण्डियों में हो रहे शोषण पर रोक लगाए। यदि सरकार इन मांगों पर अमल नहीं करती है तो समिति किसानों को लामबंद कर आंदोलन करेगी।

आज सेब के दामों में आई भारी गिरावट व निरन्तर लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण आज सेब की 5000 करोड़ रुपए की आर्थिकी गहरे संकट में चली गई है। सरकार की नीतियों के कारण आज कृषि व बागवानी में लागत कीमत में निरन्तर वृद्धि हो रही है। सरकार जो खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर जो सब्सिडी व सहायता प्रदान करती थी वह बिल्कुल समाप्त कर दी है। आज किसान बाज़ार से महंगी लागत वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं। आज सेब के दाम औसतन 300 से 1400 रुपये प्रति पेटी मिल रहे है जोकि पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है। जबकि इस समय मे उत्पादन लागत में कई गुना वृद्धि हुई है। किसानों को आज लागत क़ीमत भी नहीं मिल पा रही है जिससे आज इनके आजीविका का संकट और गहरा हो गया है।