सैंज में 2 बड़े प्रोजेक्ट भी आपदा में हुए फेल

समय पर पहुंचती मदद तो बच सकती थी कई जानें

मनीष ठाकुर। कुल्लू

जिला कुल्लू की सैंज घाटी के जंगला में सोमवार सुबह हुई बस दुर्घटना में जहां 13 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 2 लोग अभी भी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। वहीं, बस दुर्घटना के बाद राहत कार्यों में भी देरी हुई जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी स्वीकार किया है। वहीं अब एक मजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी जारी किए गए हैं। जिससे यह पता चलेगा कि आखिर किन कारणों से राहत कार्यों में देरी हुई है। हालांकि सैंज घाटी में दो बड़े विद्युत प्रोजेक्ट भी काम कर रहे हैं जो सभी मशीनों से लैस है।

ऐसे में अगर दोनों प्रोजेक्टों में तैनात अधिकारियों ने भी तत्परता दिखाई होती। तो शायद लोगों की जान बच सकती थी। राहत कार्य में देरी को लेकर स्थानीय लोगों के द्वारा भी खूब हो-हल्ला किया गया और मुख्यमंत्री के समक्ष भी इसकी शिकायत की गई। शिकायत को लेकर मुख्यमंत्री ने एन एच पी सी के अधिकारियों को भी तलब किया गया। वहीं, उनसे भी जवाब मांगा गया है कि दुर्घटना में उनकी ओर से राहत देने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं।

सोमवार को सैंज और शैंशर के ग्रामीणों ने भयावह बस हादसे के बाद सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों समेत एनएचपीसी और एचपीपीसीएल पर जमकर भड़ास निकाली। ग्रामीणों का आरोप है कि दोनों प्रोजेक्टों के अधिकारियों ने घटना के बाद फोन नहीं उठाया। मशीनें होने के बावजूद समय पर घटनास्थल पर नहीं भेजा। इस कारण कई लोगों की जान चली गई। समय रहते गैस कटर मिलता तो उससे बस के टूटे हुए हिस्से को काटकर लोगों को बाहर निकालकर जान बचाई जा सकती थी।

सैंज की शैंशर पंचायत के जांगला बस हादसे में कई घरों के चिराग बुझ गए। हमेशा की तरह शैंशर से कुल्लू आ रही निजी में 15 सवारियां मौजूद थीं, लेकिन चालक की लापरवाही से एक साथ कई मौतों से कोहराम मच गया। बताया जा रहा है कि बस करीब 13 साल पुरानी थी। बस का परमिट भी न्यूली तक ही था।

लेकिन बस उससे आगे भी जाकर सवारियों को ला रही थी। वहीं, जांगला गांव के नजदीक हुए भूस्खलन के पास बस को निकालते वक्त वह पहाड़ी से होकर नीचे जा गिरी। जिस जगह हादसा हुआ, वह मार्ग भूस्खलन के चलते संकरा हो गया था। इस मार्ग पर न तो क्रैश बैरियर और न ही पैरापिट हैं। इस मार्ग पर अगर क्रैश बैरियर व पैरापिट होते तो कई लोगों की जानें बच जातीं।

वही, बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने भी इस पर कड़ा संज्ञान लिया है कि आखिर राहत कार्य में देरी क्यों हुई है। एडीएम कुल्लू इस पूरे मामले की जांच करेंगे और अगर कोई अधिकारी इसमें दोषी पाया जाएगा तो उस पर कार्रवाई भी की जाएगी।

21 जून 2019 को भी जिला कुल्लू के बंजार में बयोठ मोड़ पर निजी बस खाई में लुढ़कने से 44 लोगों की मौत हो गई थी। 23 जुलाई, 2015 को कुल्लू में पार्वती नदी में गिरी बस गिर गई और 31 लोग बह गए थे। साल 2006 में   सैंज के तलाड़ा के पास निजी बस हादसे में 14 की मौत हो गई थी।

वर्ष 2010 में एक निजी बस सैंज के ही करटाह में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, जुलाई 2015 में पंजाब से मणिकर्ण जा रही श्रद्धालुओं से भरी एक बस सरसाडी के पास पार्वती नदी में समा गई थी। जिसमे 45 से अधिक श्रद्धालुओं की गई जान चली गई थी।