हिमाचल: चारा फसलों का प्रबंधन आवश्यकः कुलपति

चारा फसलों की उन्नत किस्मों को विकसित करने पर ध्यान दें विशेषज्ञ

उज्जवल हिमाचल। पालमपुर

चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान की चारा फसलें व उपयोगिता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डाक्टर टी आर शर्मा ने किया। देश के विभिन्न भागों से आए हुए विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए डाक्टर टी आर शर्मा ने कहा कि चारा फसलों को उन्नत करने की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। पशु चारे की देश में व्यापक कमी है जिसे पूरा करने के लिए विशेषज्ञों को पौष्टिक चारा फसलों के बीजों का मानक, मूल्य संवर्धन, भंडारण ध्यान में रखते हुए अपना शोध करना होगा।

डाक्टर शर्मा ने चारे की किस्मों पर चर्चा के साथ उत्पादन प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग की चुनौती को सामने रखते हुए उसे पूरा करने पर जोर दिया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो एच के चौधरी ने घासों की महत्ता पर सारगर्भित व्यक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि अन्न से सभी प्राणी उत्पन्न होते है और यह अन्न आता कहां से है। घास ही अन्न का जन्मदाता है। हमारे वेदों में घासों का वर्णन है। दरुवा,कुशा और कोम्बल तीन प्रकार की घास का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति में प्रत्येक प्रमुख कार्य इनके बिना संभव नहीं हो पाते हैं।

जिस प्रकार से नींव की भूमिका होती है उसी प्रकार खाद्यान्नों के बीजों को तैयार करने में घासों की भूमिका है। घास की कई किस्में है जिनका प्रयोग दवाइयों को बनाने में होता है। घास का उत्पादन करना हमारा धर्म है। प्रो चौधरी ने कहा कि पशुओं के लिए सप्तधारा सबसे बढ़िया चारा फसल है। बरसात का पानी रोकते हुए चारा फसलों का प्रबंधन आवश्यक है। डाक्टर अमरीश चंद्र, निदेशक आईसीएआर, जीएफआरआई ने संस्थान की गतिविधियों को विस्तार से बताया। प्रोजेक्ट समन्यक डाक्टर विजय कुमार यादव ने पांच वर्षाे का लेखा जोखा विस्तार से सभी के सामने रखा।डाक्टर डीके यादव ए डीजी (बीज ) आईसीएआर, डाक्टर एस के प्रधान, एडीजी(एफएफसी), आईसीएआर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

अनुसंधान निदेशक डाक्टर एस पी दीक्षित ने संगोष्ठी में आए सभी वैज्ञानिकों का स्वागत किया। संगोष्ठी के संयोजक सचिव व प्रसार शिक्षा निदेशक डाक्टर नवीन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली और भारतीय चारागाह अनुसंधान संस्थान (आईजीएफआरआई), झांसी के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और आईसीएआर संस्थानों से लगभग सौ विशेषज्ञों ने भाग लिया हैं।

कार्यक्रम के दौरान भारतीय चारागाह अनुसंधान संस्थान (आईंजीएफआर आई) झांसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर ए के रॉय को उनके 34 वर्षों के बेहतरीन कार्यों के लिए विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना और हैदराबाद से आए हुए विशेषज्ञों ने भी डाक्टर रॉय की उपलब्धियों पर उन्हें विशेष सम्मान प्रदान करते हुए स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट की। संगोष्ठी में कुछ पुस्तकों ,मराठी, मलयालम में कुछ पेम्पलेट्स व रिपोर्ट्स का विमोचन भी किया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय के संविधिक अधिकारी, विभिन्न विभागों के अध्यक्ष मौजूद रहे।

संवाददाताः गौरव कौंडल

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