सीएम सुक्खू के बयान पर जयराम ठाकुर का पलटवार, कहा- ‘प्रदेश का बेड़ा गर्क तो आपने किया’

उज्जवल हिमाचल। शिमला

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बयान पर पलटवार किया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री को शब्दों का सही चयन करना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि पांच साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान विकास हुआ। कोरोना की वजह से दो साल व्यवस्था प्रभावित रही। बावजूद इसके विकास कार्य रुकने नहीं दिए गए।

10 महीने में 10 साल पीछे चला गया हिमाचल

उन्होंने कहा कि बेड़ा गर्क तो प्रदेश का यह हुआ है कि 10 महीने में ही हिमाचल प्रदेश 10 साल पीछे चला गया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ तो कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले ही कैबिनेट में एक लाख रोजगार का वादा किया था। रोजगार तो दूर जो कर्मचारी पहले से कम कर रहे हैं, उन्हें वेतन तक नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश का बेड़ा गर्क करने के लिए पूर्व भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।

मौजूदा सरकार की स्थिति बेहद खराब

पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आज लोग जगह-जगह पर मजबूर होकर धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान अंतिम साल तक भी ऐसी स्थिति नहीं बनी थी, लेकिन 10 महीने में ही मौजूदा सरकार की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। कोरोना वॉरियर मुख्यमंत्री के पैर पड़कर नौकरी देने की गुहार लगा रहे हैं। इसी तरह एसएमसी शिक्षक भी अपनी मांगों को लेकर सरकार से पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं।

विशेष राहत पैकेज पर भी सवाल

वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से आपदा में विशेष राहत पैकेज जारी करने को लेकर जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने मनरेगा, विधायक विकास निधि और केंद्र की ओर से छह हजार मकान को इस पैकेज में जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि यह तो केंद्र सरकार का हिस्सा है। ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य सरकार जनता को क्या दिया? उन्होंने कहा कि 10 महीने में सरकार ने सिर्फ बातें ही की हैं। जमीन पर कुछ नजर नहीं आ रहा। बात चाहे चुनाव से पहले गारंटी देने की हो या फिर सरकार बनाने के बाद जनता से किए वादे की, जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री जगह-जगह जाकर लोगों से बड़े-बड़े वादे कर आप वापस आ जाते हैं, लेकिन जमीन स्तर पर लोगों को मदद मिलती ही नहीं है। मकान गंवाने पर मुख्यमंत्री ने एक लाख रुपए देने की घोषणा की, लेकिन वास्तव में वहां पांच हजार रुपए ही मिले।