इतिहास साक्षी है जीत हमेशा धर्म की होती है: कैप्टन संजय

-नाहन नगरोटा में पराशर ने आयोजित किया 12वां महायज्ञ

उज्जवल हिमाचल। परागपुर

कैप्टन संजय ने कहा है कि धर्म और सत्य की सदैव जीत होती है। इतिहास में ऐसे अनेकाें उदाहरण हैं। मंगलवार को जसवां-परागपुर क्षेत्र की नाहन नगरोटा पंचायत में आयोजित 12वें महायज्ञ में स्थानीय वासियों को संबोधित करते हुए पराशर ने कहा कि सत्य पर अडिग रहने के कारण ही महाभारत के युद्ध में कम संख्या बल होने के बावजूद पांडवों की जीत हुई थी और कौरवों को पराजय को सामना करना पड़ा था। इसलिए जीवन में ईमानदारी और सच्चाई से चलना चाहिए। इस महायज्ञ में दो सौ से ज्यादा परिवारों के सदस्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और पवित्र हवनकुंड में आहुतियां समर्पित कीं।

संजय ने कहा कि वह क्षेत्र की खुशहाली के लिए हवन यज्ञ का आयोजित कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं यह आयोजन व्यवस्था परिवर्तन के लिए भी है। बच्चों को घर-द्वार पर बेहतर शिक्षा मिल सके। युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन हो, गांववासियों को पेयजल के लिए घंटों नलों के पास न बैठना पड़े और बुजुर्गों को स्थानीय अस्पतालों में हर प्रकार के उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सके, ऐसी व्यवस्था के वह हक में हैं। संजय ने कहा कि उन्होंने अपने संसाधनों से समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्तियों की हर संभव मदद करने का प्रयास किया है।

इसके लिए उन्होंने जसवां-परागपुर क्षेत्र की हर पंचायत में मेडीकल कैंपों का आयोजन किया तो शिक्षा के लिए गांवों में 32 कंप्यूटर व इंग्लिश लर्निंग सेंटर खोले जा चुके हैं। एक हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगार प्रदान किया जा चुका है। गरीबी उन्मूलन के लिए आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों के बच्चों की स्कूल फीस उनके द्वारा दी जा रही है तो ऐसे परिवारों के हाेनहार विद्यार्थियों को मासिक स्कॉलरशिप भी दे रहे हैं। इसके अलावा नारी सशक्तीकरण के लिए भी लगातार प्रयास जारी हैं। बावजूद उनका मानना है कि यह व्यवस्था तभी स्थाई होनी चाहिए।

पराशर ने कहा कि यह तभी संभव हो सकता है कि जब क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले इस दिशा में सार्थक व सकारात्मक प्रयास करें। अगर पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है और स्थानीय वासी पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं तो किसी तो अपनी जिम्मेवारी तय करनी होगी। अगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय एक शिक्षक के सहारे हैं ओर वहां अध्ययनरत बच्चों का भविष्य दाव पर लगता हुआ दिखाई दे रहा है तो किसी को तो इस कमी का नैतिक दायित्व लेना होगा। स्वास्थ्य संस्थानों में स्टाफ या उपकरणों की कमी है तो कोई तो उत्तरदायी होना चाहिए।

संजय ने कहा कि युवा पढ़ने के बाद बेरोजगार घूम रहे हैं और उनके पास खुद को साबित करने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो किसी को जबावदेही देनी ही होगी। संजय पराशर ने कहा कि बेशक विकास एक निरंतर प्रक्रिया होती है, लेकिन देश की आजादी के 75 वर्ष बाद भी क्षेत्र के गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है तो समझा जा सकता है कि क्षेत्र की समस्याओं को समझने और उन्हें हल करने के लिए गंभीरता से प्रत्यन्न नहीं हुए। कहा कि व्यवस्था में बदलाव के बाद ही ग्रामीण क्षेत्रों का विकास संभव है। इस मौके पर मेला राम, मनोहर लाल, सुनील, अजय, विनोद और सवित्री देवी भी मौजूद रहे।