उज्जवल हिमाचल। नूरपुर
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बिना एमबीबीएस फैकल्टी की तैनाती को बंद करने की मांग अब केंद्र व राज्य सरकार के समक्ष उठने लगी है। मेडिकल कॉलेजों में प्रशिक्षु डॉक्टरों को पढ़ाने के लिए नॉन मेडिकल पोस्टग्रेजुएट की तैनाती के विरोध में ऑल इंडिया प्री एंड पैराक्लिनिकल मेडिकल एसोसिएशन नई दिल्ली के राजघाट में पिछले रविवार को किए गए प्रदर्शन का समर्थन किया है।
रविवार को जारी बयान में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर पंकज चौहान व प्रेस सचिव डॉ. आंचल ने कहा कि एनाटॉमी फिजियोलॉजी व बायो केमिस्ट्री व बायो माइक्रोबायोलॉजी व फार्माकोलॉजी विभाग में टीचर पद के एमबीबीएस पीजी से इन पदों को भरा जाए।
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देश में चिकित्सा शिक्षा को उच्च स्तरीय बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के उस अधिनियम को लागू किया जाना चाहिए जो भारत सरकार के स्वास्थ्य मन्त्रालय ने 2022 में लागू किया था। हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों में भी इन उपरोक्त विषयों को नॉन मेडिकल फैकल्टी डॉक्टर प्रशिक्षुओं को आज भी पढा रहे हैं। जिन्हें कोई भी अनुभव नहीं है।
ऐसे में नॉन मेडिकल फैकल्टी को उपरोक्त विषयों पर बीमारी के उपचार की कोई जानकारी नहीं है और ना ही अनुभव है। चिकित्सकों ने सरकार से इस संबंध में जल्द से जल्द कदम उठाने की अपील की है ताकि मेडिकल शिक्षा का स्तर देश में उंचा हो सके। यह जानकारी नूरपुर में आज एसोसिएशन की प्रैस सचिव डॉक्टर आंचल ने एक प्रैस विज्ञप्ति में देते हुए कहा कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश की सरकार इस मामले पर गौर करें।