खत्म होती नहीं दिख रही भारत की कोयले पर निर्भरता

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

अक्षय ऊर्जा स्रोतों की दिशा में लगातार प्रयासों के बावजूद निकट भविष्य में ऊर्जा जरूरतों के लिए भारत की कोयले पर निर्भरता खत्म होती नहीं दिख रही है। 19वें इलेक्ट्रिक पावर सर्वे में इससे जुड़े तथ्य सामने आए हैं। सर्वे के मुताबिक, 2026-27 के आखिर तक भारत की कुल 6,19,066 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता में से कोयला आधारित परियोजनाओं की हिस्सेदारी करीब 2,38,150 मेगावाट रहेगी। यह कुल क्षमता के 40 फीसद के करीब है। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसे राहत की बात कहा जा सकता है।

अभी कोयला आधारित परियोजनाओं की क्षमता करीब 3.40 लाख मेगावाट है, जो कुल बिजली उत्पादन क्षमता के आधे से भी ज्यादा है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन की क्षमता में तेज बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है। अभी नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन की क्षमता करीब एक लाख मेगावाट की है। 2026-27 तक यह क्षमता 2.75 लाख मेगावाट से ज्यादा हो जाने की उम्मीद जताई गई है। निश्चित तौर पर यह क्षमता उस समय कोयला आधारित परियोजनाओं की कुल क्षमता से भी ज्यादा होगी। देशव्यापी स्तर पर 2026-27 तक गैस आधारित परियोजनाओं से 25,735 मेगावाट, हाइड्रो परियोजनाओं से 63,301 मेगावाट और परमाणु ऊर्जा आधारित परियोजनाओं से 16,880 मेगावाट उत्पादन का अनुमान है।

हाल ही में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ओर से उत्पादन क्षमता पर किए गए अध्ययन में 2029-30 तक बिजली उत्पादन क्षमता का अनुमान व्यक्त किया गया था। इसके मुताबिक, उस समय तक भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 8,17,254 मेगावाट रहेगी। इसमें से कोयला आधारित परियोजनाओं से 2,66,911 मेगावाट, गैस से 25,080 मेगावाट, हाइड्रो परियोजनाओं से 71,128 मेगावाट, परमाणु ऊर्जा से 18,980 मेगावाट और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 4,35,155 मेगावाट बिजली उत्पादन का अनुमान है। देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की प्रचुर उपलब्धता है। इसे देखते हुए सरकार का लक्ष्य है कि अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा बिजली उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से किया जाए। इसके साथ-साथ सरकार पड़ोसी देशों को भी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बनी बिजली निर्यात करने पर फोकस कर रही है।