दहकते अंगारों पर नाचे माता के गूर, श्रद्धालुओं का लगा तांता

मनीष ठाकुर। कुल्लू

माता नैणा का 22 वां जागरण (जाग) को बड़े हर्षोउल्लास से भुंतर से सटे नैणा माता मंदिर पिपलाआगे में मनाया गया। इस जाग महोत्सव के उपलक्ष्य पर माता भद्रकाली , माता कोयला , माता शीतला, माता नागराणी  अपने कारकुनों ओर हारियानों सहित विशेष रूप से पधारी। जागरण की कुल्वी भजन गायकों ने गीतों के माध्यम से माता की महिमा का बखान कर सभी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

साथ ही त्रिनेत्रा मंदिर कमेटी द्वारा इस अवसर पर भंडारे का आयोजन भी किया गया था जिसमे हज़ारों श्रद्धालुयों ने माता का प्रसाद ग्रहण किया। रात्रि एक बजे माता नैणा, भद्रकाली अपने, कारकूनों, हारियानो सहित ढोल नगाड़े के साथ मंदिर में प्रवेश किया और अंगारों के चारों ओर परिक्रमा की। इस जाग कि खास बात यह है कि यहां पर माता के गुर, चेलियां, जलते हुए आग के अंगारों पर चलते है जिसमे माता की कृपा से किसी को भी कुछ नहीं हुआ जिसके चलते माता ने अपनी शक्ति को एक बार फिर से प्रमाणित किया।

इस जाग को देखने के लिए हिमाचल प्रदेश के दूसरे जिलों से भी लोग देखने आते है और उनकी माता में गहरी आस्था और विश्वास है। इसी लिए देखने के लिए हजारों श्रद्धालुयों की भीड़ उमड़ पड़ी भद्रकाली माता के पुजारी अमित महंत ने कहा कि माता नैणा की  22 वीं  जाग बड़ी धूमधाम से मनायी गयी। इस जाग की अदभुत बात यह है कि यहां पर माता के गुरु, चेलियां, माता का रथ आग के अंगारों पर चलता है और माता रानी की कृपा से किसी के भी पैर में आंच तक नही आती। ये सब माता की शक्ति से ही संभव है।

जाग के दिन माता सभी भक्तों के दुखों का निवारण करती है और सभी को मनोवांछित फल प्रदान करती है। सभी भक्त नारियल लेकर आते है और माता रानी नारियल से सभी भक्तों के ग्रहों का निवारण करती है। माता भद्रकाली व माता नैणा के गुर अश्वनी कुमार ने कहा कि ये प्रथा तब से चली आ रही है जब से भगवान इस धरती पर आए है और नैणा माता मंदिर में  पिपलाआगे में माता की 22 वी जाग थी। माता के आशीर्वाद से ही यह जाग बड़ी धूमधाम से मनाई गई और त्रिनेत्रा मंदिर कमेटी के सभी सदस्यों ने भी जाग जो सफल बनाने के लिये भरपूर सहयोग किया।