खास खबर: बरनाला में बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का कोविड केयर सेंटर

अखिलेश बंसल। बरनाला

बरनाला-लुधियाना मार्ग पर पिछले कुछ समय से बंद पड़ी स्कूल की इमारत को कोरोना महामारी से युद्ध करने का केंद्र बनाया गया है, जिसके निर्माण के लिए पुलिस अधिकारियों ने अपनी दूरअंदेशी विचारधारा से फ्रंटलाइन पर ड्यूटी करते पुलिस मुलाजिमों और अधिकारियों को बड़ी राहत पहुंचाने का प्रयास किया है। क्षेत्र की प्रमुख चार संस्थाओं के सहयोग से तैयार किए गए ‘बरनाला पुलिस कोविड केयर सेंटर’ (बीपीसीसीसी) में दाखिल होने वाले कोरोना मरीजों के लिए हर तरह के प्रबंध किए हैं। तैयार हुए इस कोविड केयर सेंटर की रचना अंतरराष्ट्रीय स्तर की है।कोविड केयर सेंटर से चमका गांव का नाम
कोविड-19 के संदिग्ध एवं संक्रमित मामलों की संख्या के बढ़ने से जहां सरकारी अस्पतालों में बैंडों और प्रबंधों की कमी चल रही है। वहीं, बरनाला जिला की पुलिस ने कुछ संस्थाओं का सहयोग लेते हुए बरनाला-लुधियाना रोड पर जिला के गांव संघेड़ा में बंद पड़े एक निजी स्कूल (तकशिला) को कोरोना महामारी के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए फं्रटलाईन कोरोना केयर सेंटर में बदल दिया है।

गौरतलब हो कि तकशिला स्कूल के निर्माण के वक्त 25 क्लास रूम, मीटिंग हाल, अध्यापकों के लिए स्टाफ रूम बनाए गए थे। जहां अब 100 बिस्तरों की सामर्थ्य वाला कोविड केयर सेंटर स्थापित कर दिया गया है। जो पुलिस मुलाजिमों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इस्तेमाल होने लगा है। महिला और पुरुष पुलिस ऑफीशियलों के लिए अलग ब्लाक तैयार किए गए हैं।

24 घंटे सेहत व सुरक्षा
बीपीसीसीसी में तीन डॉक्टर, चार नर्सें, चार हाउस-कीपिंग, सहायक और सफाई सेवकों की (मैडिकल टीम) के अलावा पूरे सिस्टम की निगरानी के लिए पुलिस विभाग की तरफ से नोडल अधिकारी समेत 7 मुलाज़िम तैनात किए गए हैं। जब भी मेडिकल टीम को कोविड केयर सेंटर के अंदर दाखिल मरीजों तक पहुंचना होता है, जो वहां मरीजों को दवा और खाने व पीने की सामग्री देते हैं, उन्हें पहले मास्क, गलब्ज, सैनेटाईजर युक्त पीपीई किट पहनाई जाती है।बीसीसीसी में यह किए प्रबंध
यह समय कोरोना वायरस का है, बरसाती मौसम होने के कारण मक्खी-मच्छर पैदा हो रहा है, जिसको बीपीसीसीसी के अंदर दाखिल होने से रोकने के लिए राेशनदानों, सभी कमरों के गेटों और बरामदों के दोनों तरफ लोहे की घनी जाली पक्के तौर पर जड़ी गई है। बिजली बत्ती जाने की सूरत में पॉवर जेनरेटर सैट लगाया गया है। बाथरूम और शौचाल्य के लिए अलग पानी और पीने के लिए साफ पानी का अलग से प्रबंध किया गया है।

मिट्टी के घड़े भी लगाए गए हैं, जिससे मरीजों को प्राकृतिक जल का एहसास हो सके। करीब तीन एकड़ में बने कोविड सेंटर में दाखिल होने वाले मरीजों की इम्युनिटी बढ़ाने और उनकी सेहत का पूरा ख्याल व ध्यान रखने के लिए उन्हें सुबह शाम दौड़ व कसरत करवाई जाती है, ताकि कोविड सेंटर अस्पताल न लगे और मरीजों को जन्नत जैसा एहसास हो, उसके लिए सेंटर की सभी दीवारों पर मल्टी कलर किया गया है। सफाई का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक रंग-बिरंगे झंडे और फूल-पौधे लगाए गए हैं। प्रवेश द्वार पर बीपीसीसीसी का वूडन-मॉडल (लकड़ी युक्त) लगाया गया है, जिससे बाहर से आने वाला हर मेहमान और हर मरीज या उनके वारिसों को पूरी जानकारी हो सके।

इन्होंने उठाया कोविड-19 को हराने के लिए कदम
ट्राइडेंट उद्योग समूह के उपाध्यक्ष रुपिंदर गुप्ता का कहना है कि बरनाला में बीपीसीसीसी का निर्माण कोरोना वायरस के साथ फ्रंटलाईन पर ले जाकर लडऩे की एक छोटी सी कोशिश की गई है। आईओएल के ज्वायंट मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गर्ग का कहना है कि सोसायटी को कुछ देने के लिए आवाम के पास विशेष अधिकार हैं। कोविड-19 के चलते हमने कुछ योगदान पाने की कोशिश की है।

यह कहते हैं अधिकारी
जिला पुलिस मुखी संदीप गोयल पीसीएस का कहना है कि शहर के अंदर बंद पड़ी स्कूल की इमारत में बरनाला पुलिस कोविड केयर सेंटर की स्थापना बहुत ही प्रशंसनीय है। जिसका सरकारी खजाने पर कोई बोझ नहीं डाला गया। जमीन भी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी। कोविड सेंटर की स्थापना के लिए स्कूल मालिकों के साथ संपर्क किया गया था। जिन्होंने भलाई कार्य के लिए स्वैच्छा व्यक्त की। इस सेंटर की स्थापना पर-उपकारी योगदान का ही परिणाम है।

एएसपी डॉ. प्रज्ञा जैन आईपीएस का कहना है कि पुलिस की ड्यूटी बहुत ही ज्यादा जोखिम भरी है, जिसके साथ हमारे परिवार भी जोखिमभरे माहौल में रहते हैं। जिला के गांव संघेड़ा में जो बीपीसीसीसी का निर्माण किया है, उससे हम ख़ुद को और अपने परिवारों को बीमारी से दूर रख सकेंगे। इस मॉडल को देश के दूसरे प्रदेशों में दोहराया जा सकता है।

बरनाला पुलिस कोविड केयर सेंटर में तैनात डॉक्टर राहुल गार्गी का कहना है कि इस केंद्र में 11 सितंबर तक 151 मरीज कोरोटाईन किए जा चुके हैं, जिनमें से 85 पुलिस मुलाजिमों के पॉजिटिव टैस्ट किए गए हैं, जबकि 58 ठीक हो चुके हैं, बाकी 25 केस एक्टिव केसों को आइसोलेशन किया जा रहा है। संक्रमित मरीजों के बैंडों पर पड़ीं चादरों को धोकर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि उनको आग लगाकर जला दिया जाता है, जिससे उसके कीटाणुओं से कोई दूसरा मरीज प्रभावित नहीं हो सके।