उज्जवल हिमाचल। बिलासपुर
शायद आधी दुनिया इसे ही कहते हैं जो अपने परिवार के लिए सब कुछ न्यौछावर करने के लिए बिना पल गवाएं निर्णय ले लेती हैं। ऐसी मातृशक्ति वास्तव में भारतीय समाज के लिए पूज्यनीय है। जी, हां यहां बात हो रही है भगेड़ कस्बे के साथ लगते पलथीं गांव के ऐसे परिवार की जिसमें एक महिला ने अपने पति कीजान को बचाने के लिए अपनी किडनी दानकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
पल्थीं गांव के धर्मदास के पेट में तीन साल पहले अचानक से दर्द उठा। इससे पहले चिकित्सक कुछ समझ पाते। मरीज रैफर होता हुआ आइजीएमसी शिमला जा पहंुचा। जहां इस परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट गया, जब उन्हें पता
लगा कि धर्मदास की दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया है।
ऐसे में उनकी धर्मपत्नी किरण देवी ने बिना समय गवाएं अपने पति की जिंदगी को बचाने का निर्णय लिया और अपनी किडनीदान देने की पेशकश की। यह वह पल था जब खून के रिश्ते भी इस समय में दो कदम पीछे सरका लेते हैं लेकिन किरण देवी के इस प्रयास ने धर्मदास की जिदंगी बदल दी और परिवार में एक बार फिर से खुशियां लौट आई चूंकि किडनी ट्रांसप्लांट का आपरेशन सफल रहा और इससे इस गरीब परिवार के चेहरे पर मुस्कान लौट आई।
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लेकिन सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता न मिलने का भी इस देवी की आंखों में मलाल दिखा। कोरोना काल के दौरान कोई संस्था भी इस परिवार के लिए खड़ी नहीं दिखी। कोरोना के शोर में इस परिवार की मुफलिसी और दर्द दोनों दब गए। उन्होने बताया कि जो कुछ भी उनके पास मेहनत मजदूरी करके कमाया था, बीमारी का बहाव सब कुछ बहाकर ले गया।
लेकिन सुखद यह रहा है कि किरण देवी अपने सुहाग को बचाने सफल रही। वर्तमान में किरण देवी स्वयं टेलरिंग का काम करती है जबकि उनके पति धर्मदास ने कार वॉशिंग का काम खोल रखा है। इनका एक बेटा पिता के काम में हाथ बंटाता है। इस परिवार को आज भी आस है कि सरकार उनकी मदद के लिए आगे आएगी ताकि आगे के जीवन को जीने के लिए कुछ सहारा मिल सके।