जानें वीरभद्र सिंह के राजनैतिक सफर के बारे में कहां-कहां से लड़ा था चुनाव

उज्जवल हिमाचल डेस्क…
वीरभद्र सिंह ने 1962 से महासू (शिमला) लोकसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पहली बार महासू से चुनकर तीसरी लोकसभा के सदस्य बने। 1967 में इसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए। इसके बाद शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर वीरभद्र सिंह ने 1971 में मंडी लोकसभा क्षेत्र को  चुना। उनके गृह जिला शिमला का रामपुर विधानसभा क्षेत्र इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां से सांसद चुने जाने के बाद वह केंद्र में 1976 में उप नागरिक उड्डयन मंत्री बने। 1977 में जनता पार्टी के गंगा सिंह ठाकुर के हाथों हार का सामना करना करना पड़ा। 1980 फिर से लोकसभा चुनाव जीत कर केंद्र में पहुंचे।

केंद्र में उद्योग राजमंत्री बने। यहीं से वीरभद्र सिंह की किस्मत का सितारा चमका। कांग्रेस हाईकमान ने रामलाल ठाकुर को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया और वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाकर दिल्ली में हिमाचल वापस भेजा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वह 1983 से 1990, 1993 से 1998, 2003 से 2007 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2007 में प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद वीरभद्र सिंह ने दोबारा मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। भारी मतों से जीतकर हासिल कर पांचवीं बार सांसद चुने गए। मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में इस्पात मंत्री बने। इसके बाद लघु एवं मझौले उद्यम मंत्रालय का जिम्मा मिला। 2012 में केंद्रीय मंत्री पद से त्यागपत्र दिया। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया। कांग्रेस पार्टी ने दोबारा सत्ता में वापसी की और वह छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।