और यहां भी जुट गई प्रवासी मजदूरों की भीड़…

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

दुनिया के लगभग सभी देश इस समय कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं। भारत में भी इस वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में मरीजों की संख्या 50 हजार के करीब पहुंच गई है। वहीं इस वैश्विक महामारी से 1600 से ऊपर लोगों की जान भी जा चुकी हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में जारी लॉकडाउन के दौरान बाहरी राज्यों के प्रवासी मजदूर देश की राजधानी दिल्ली की तरह अपने घरों को जाने के लिए आतुर हो गए हैं। हजारों की संख्या में मौजूद मजदूरों को अब काम मिलना भी बंद हो गया है और अगर कोई काम मिलता भी है तो उसकी नाममात्र मजदूरी ही मजदूरों को दी जा रही है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि इन प्रवासी मजदूरों की समस्या को लेकर इनकी संबंधित सरकारें कब सुध लेगी। आखिर यह सरकारें इन लोगों को अपने राज्य में वापिस लाने के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रही है।

ऐसा ही एक मामला बुधवार को जिला मंडी के सुंदरनगर में देखने को मिला जब सैकड़ों की संख्या में क्षेत्र में मजदूरी करने आए मजदूरों ने एसडीएम कार्यालय की ओर घर वापसी की मांग को लेकर कुच कर दिया। मजदूर पैदल ही करीब पंद्रह किलोमीटर दूर जवाहर पार्क पहुंच गए। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मौके पर सुंदरनगर के एसडीएम राहुल चौहान,राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नोडल अधिकारी डीएफओ सुकेत सुभाष चंद पराशर और थाना प्रभारी कमलकांत टीम सहित आनन फानन में जवाहर पार्क पहुंचे और मजदूरों की समस्या सुनी। एसडीएम राहुल चौहान ने मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रशासन ने उन्हे भेजने के लिए विभिन्न राज्यों से बात की है। लेकिन अभी इन राज्य सरकारों की ओर से कोई डिमांड नहीं दी गई है। इससे मजदूरों को वापिस भेजने में देरी हो रही है। उन्होंने मजदूरों को अपनी सरकार से इस मामले में कार्रवाई करने का भी सुझाव दिया है। इस अवसर पर मौजूद नोडल अधिकारी डीएफओ सुकेत सुभाष चंद पराशर ने कहा कि बिहार वापिस जाने वाले मजदूर दिए गए फारमेट में अपनी संबंधित जानकारी उनके पास जमा करवाएं। उन्होंने कहा कि आगामी आदेशों के अनुसार ही मजदूरों की घर वापसी संभव होगी।

घर वापसी को लेकर भटक रहे प्रवासी मजदूर
जिला मंडी के सुंदरनगर क्षेत्र में फंसे प्रवासी मजदूर अपनी घर वापसी को लेकर भटक रहे है। अपने गांव को वापसी को लेकर कभी पंचायत और कभी अधिकारियों से मांग कर चुके है। माइग्रेंट लेबर अब गांव जाने के लिए परेशान हो गई और पैदल ही घर वापसी की चेतावनी देने लगे है। डीनक के दायरे में करीब 400 माइग्रेंट लेबर है और इन्होंने पंचायत और कई अधिकारियों से कई दिन से बिहार जाने की मांग की है। लेकिन इतने दिनों के बाद भी इन्हे कोई सही रास्ता नहीं मिल पाया है। गौर हो कि बिहार राज्य के दो हजार माइग्रेंट लेबरर क्षेत्र के के डीनक, राजगढ़, टिक्करी बैहना, सहित डढोह और भडयाल में कार्यरत है। जो लाक डाउन के चलते बीते दो माह से ही बेकार हो गए हैं और घर जाने के लिए बार-बार मांग कर रहे हैं।

मजदूरों ने किया अपना दर्द बयां
सुंदरनगर के डीनक में मोहम्मद सहाबुदीन, जियाबुल हक, जागीर हुसैन, अबुतालीम, मौहम्मद मुसलिन और हरीश कुमार सहित मजदूरों ने कहा कि हम सभी लोग बिहार राज्य के किशनगंज जिला के विभिन्न गांवों से तालुक रखते है और काम के लिए मंडी जिले में आए है। लेकिन लाक डाउन के कारण यहां काफी से फंस गए हैं। उन्होंने कि बिहार के जिला किशन गंज से ही करीब दो हजार लोग यहां हैं, जो वापस जाने के लिए मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई राज्य के लोगों को वापस भेजा गया है। लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।

इस संबंध में एसडीएम राहुल चौहान ने कहा कि बिहार राज्य से बात की गई है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। बिहार सरकार की ओर से कहने पर ही इनको भेजने के लिए प्रबंध किए जा सकेंगे। इस अवसर पर सुंदरनगर पुलिस थाना प्रभारी कमलकांत और वन रक्षक संजय कुमार, सुनील कुमार और दुर्गी देवी अधिकारी भी मौजूद रहे।