प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल टांडा मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का अभाव

अंकित वालिया। कांगड़ा

प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल कहे जाने वाले टांडा अस्पताल मेडिकल कॉलेज में बच्चों का वार्ड अत्यधिक दयनीय हालत में लंबे समय से सेवाएं दे रहा है। इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बच्चों के वार्ड में काफी संख्या में कॉकरोच घूमते हुए आम दिखते हैं।

अगर बात करें बाथरूम व्यवस्था की तो वह भी पूरी तरह से गंदगी से भरा हुआ है। वार्ड के बाथरूम में जगह-जगह से पानी का रिसाव पाइपों से हो रहा है। वाशवेशिन में भी गंदगी का आलम भरपूर है वाशवेशिन के ऊपर से गुजर रही पानी की पाइपों से पानी का भरपूर रिसाव लगातार हो रहा है। वह फ़्लश में भी पानी का जगह-जगह से रिसाव हो रहा है।

ऐसे हालातों में सवाल ये उठता है कि यदि ऐसे में किसी नवजात शिशु के नाक या कान में कॉकरोच या अन्य कोई कीड़ा चला जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इस तरह के हालातों में नवजात की मां व उनके तामीरदार भी ऐसे जर्जर शौचालय में जाने से घबराते हैं। वहां मौजूद तामीरदार व उपचाराधीन महिलाओं को मजबूरी में शौचालय में जाना पड़ रहा है। अस्पताल के लगभग सभी वार्ड के शौचालय की हालत इसी तरह से जर्जर हालत में है।

इस मामले में जब टांडा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य भानु अवस्थी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले में वह एमएस मोहन सिंह को सूचित कर रहे हैं आप उनसे बातचीत करें। इस बावत एमएस मोहन सिंह टांडा से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें इस तरह के मामले की जानकारी मिली है व इस मामले में पिछले कल मीटिंग कर निर्णय लिए गए है। अब गगल के एक ठेकेदार विनोद कुमार को कार्य दिया हुआ है। जोकि कार्य अब ठेकदार के ऊपर ही हैं कि वह इसे कब शुरू करवाएगा।

बिल्डिंग के रखरखाव के लिए हर साल पीडब्ल्यूडी विभाग को करोड़ों रुपए दिए जाते है, बिजली व्यवस्था के लिए भी पीडब्ल्यूडी विभाग को हर साल करोड़ों रुपए दिए जाते है। सिवरेज व पानी की व्यवस्था को सरकारी आईपीएच विभाग देखता है। जिन्हे करोड़ों रुपए दिए जाते है। वार्ड में कॉकरोच होने की समस्या पर उन्होंने बताया कि पिछले महीने ही कॉकरोच मारने की दवाई डाली गई थी हर दो महीने बाद कॉकरोच मारने की दवाई का छिड़काव किया जाता है जो कि अब अगले महीने किया जाएगा।

आगे उन्होंने बताया कि टांडा मेडिकल कॉलेज की इमारत रिनोवेशन मांग रही है वह सरकार को हर साल इस मामले में मांग रखते हैं। जब पैसे आएंगे तभी रंग रोगन हो पाएगा।